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Tag Archives: #आज का जीवन मंत्र

आज का जीवन मंत्र : तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोय । सहजे सब विधि पाइए, जो मन जोगी होय ।। जानिए क्या है इसका अर्थ

आज का जीवन मंत्र : तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोय । सहजे सब विधि पाइए, जो मन जोगी होय ।। जानिए क्या है इसका अर्थ

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आज का जीवन मंत्र : कबिरा मन निर्मल भया, ज्यों गंगा का नीर । पाछे-पाछे हरि फिरत, कहत कबीर-कबीर ।। जानिए क्या है कबीर जी के दोहे का अर्थ

आज का जीवन मंत्र : कबिरा मन निर्मल भया, ज्यों गंगा का नीर । पाछे-पाछे हरि फिरत, कहत कबीर-कबीर ।। जानिए क्या है कबीर जी के दोहे का अर्थ

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आज का जीवन मंत्र : कबिरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये । ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये ।।

आज का जीवन मंत्र : कबिरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये । ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये ।।

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आज का जीवन मंत्र : जो बड़ेन को लघु कहें, नहि रहीम घटि जाहिं । गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं -जानिए क्या है अर्थ

आज का जीवन मंत्र : जो बड़ेन को लघु कहें, नहि रहीम घटि जाहिं । गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं -जानिए क्या है अर्थ

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आज का जीवन मंत्र : शुभ ज्योति के पुंज, अनादि, अनुपम, ब्रह्माण्ड -व्यापी, आलोक कर्ता -जानिए कैसे इस मंत्र से जीवन बनेगा सुखमय

आज का जीवन मंत्र : शुभ ज्योति के पुंज, अनादि, अनुपम, ब्रह्माण्ड -व्यापी, आलोक कर्ता -जानिए कैसे इस मंत्र से जीवन बनेगा सुखमय

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आज का जीवन मंत्र : एक दिन ऐसा होएगा, कोइ कहू का नाहि । घर की नारी को कहै, तन की नारी (नाड़ी) नाहि ।। जानिए क्या है इसका अर्थ

आज का जीवन मंत्र : एक दिन ऐसा होएगा, कोइ कहू का नाहि । घर की नारी को कहै, तन की नारी (नाड़ी) नाहि ।। जानिए क्या है इसका अर्थ

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आज का जीवन मंत्र : अहिरन(लोहा) की चोरी करै, करै सुई का दान । उॅचे चढ़ि कर देखता, केतिक दूर विमान ….जानिए क्या है अर्थ

आज का जीवन मंत्र : अहिरन(लोहा) की चोरी करै, करै सुई का दान । उॅचे चढ़ि कर देखता, केतिक दूर विमान ....जानिए क्या है अर्थ

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आज का जीवन मंत्र : रहिमन ओछे नरन ते, बैर भली न प्रीत । काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत ।।

आज का जीवन मंत्र : रहिमन ओछे नरन ते, बैर भली न प्रीत । काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत ।।

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आज का जीवन मंत्र : माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय… जानिए क्या है कबीर दास जी के दोहे का अर्थ

आज का जीवन मंत्र : माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय... जानिए क्या है कबीर दास जी के दोहे का अर्थ

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