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आज का जीवन मंत्र : माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय… जानिए क्या है कबीर दास जी के दोहे का अर्थ

माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय ।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय ॥

मिट्टी का पुतला मनुष्य यह याद ही नही रखना चाहता कि एक दिन उसे इसी मिटटी में मिल जाना है ।
किसी को यदि यह पता चल जाये कि कल उसके जीवन का अंतिम दिन है
तो वह उसी क्षण से सारे गलत कार्य छोड़कर, अपने गलत कृत्यों के लिए लोगों से माफी माँगने लगेगा ।
सुंदर काया, बड़ा पद, बड़ा मकान, ज्यादा पैसा ही हमारे सबसे बड़े दुश्मन अहम (मैं) को पैदा और पोषित करता है ।
अगर हम हर पल मृत्यु (अटल सत्य) का ध्यान रखें तो हमारा सबसे बड़ा शत्रु अहम (मैं) पास भी नही फटक पायेगा ।

आज तिथि ५१२५/ ११-०१-१२/ ०४ युगाब्द ५१२५/ माघ शुक्ल पक्ष, द्वादशी, बुधवार की पावन मंगल बेला में, “शरीर नश्वर है” को याद रखते हुए अपने “अहम” को पास न फटकने देने के संकल्प के साथ, नित्य की भांति, आपको मेरा “राम-राम” ।

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