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आज का जीवन मंत्र : कबिरा मन निर्मल भया, ज्यों गंगा का नीर । पाछे-पाछे हरि फिरत, कहत कबीर-कबीर ।। जानिए क्या है कबीर जी के दोहे का अर्थ

आज तिथि ५१२५/ १२-०१-०७
/ ०७ युगाब्द ५१२५/ फाल्गुन शुक्ल पक्ष, सप्तमी, शनिवार शुभ व मंगलमय हो..

अंको में आज की तिथि

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♡🔆 5125/12/01/07/07 ♡
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युगाब्द (कलियुग) – 5125
फाल्गुन – बारवहां महीना
शुक्ल – प्रथम पक्ष
तिथि – सप्तमी ( 07 वीं)
वार/दिन- शनिवार ( 07 वां वार/दिन )

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कबिरा मन निर्मल भया,
ज्यों गंगा का नीर ।
पाछे-पाछे हरि फिरत,
कहत कबीर-कबीर ।।

ईश्वर पवित्र है, अतः ईश्वर को पवित्र (निर्मल) मन वाले लोग ही पसंद हैं ।
जब मन, वाणी और अन्तः करण (ह्रदय) एक जैसा सोचते और करते हैं, तो पवित्रता कहलाती है ।
पवित्रता ईश्वरतुल्य प्रसन्नता और आनंद का अहसास कराती है ।
कहते हैं कि पवित्र व्यक्ति की प्रार्थना ही ईश्वर तक पहुंचती है ।
पवित्रता -आचरण, चिंतन, व्यवहार, नौकरी, व्यापार आदि सब जगह दिखनी चाहिये ।

आज तिथि ५१२५/ १२-०१-०७
/ ०७ युगाब्द ५१२५/ फाल्गुन शुक्ल पक्ष, सप्तमी, शनिवार की पावन मंगल बेला में, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पवित्रता को बनाये रखने के संकल्प के साथ, नित्य की भांति आपको मेरा “राम-राम” campussamachar.com,

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