कबिरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये ।
ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये ।।
✍ ईश्वरीय विधान अनुसार, मनुष्य का बच्चा जब पैदा होता है तो कष्ट के कारण रोता है ।
✍ परंतु पैदा हुए बच्चे के अलावा सभी प्रसन्न होते हैं ।
✍ कहा जाता है कि प्रारब्ध के योग के अनुसार भोगने के लिए उसका जन्म होता है ।
✍ परन्तु अपने सत्कर्मो के द्वारा मनुष्य ऐसी स्थिति पैदा कर सकता है ।
✍️ कि दुनिया से विदा होते समय मन प्रसन्न रहे क्योंकि उसे संतुष्टि है कि उसने किसी को सताया नहीं ।
✍ परंतु लोग रो रहे हैं कि उनके बीच से एक अच्छा व्यक्ति संसार से विदा हो रहा है ।
आज तिथि ५१२५/ १२-०१-०६/ ०६ युगाब्द ५१२५/ फाल्गुन शुक्ल पक्ष, षष्ठी, शुक्रवार “वीर सावरकर स्मृति दिवस” की पावन मंगल बेला मे, सत्कर्म के संकल्प के साथ, नित्य की भांति, आपको मेरा “राम-राम” । #campussamachar.com,
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एक चीज जो रोज घट रही है,
वो है आयु।
एक चीज जो रोज बढ़ रही है,
वो है तृष्णा।
एक चीज जो सदा एक सी रहती है,
वो है विधि का विधान ।