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नालंदा हमारी पहचान है, जो सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिए गौरव की अनमोल धरोहर है : केन्द्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक

पटना/नई दिल्ली. नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा एवं महाराजा बीर बिक्रम विश्वविद्यालय त्रिपुरा के बीच हो रहे शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक आदान प्रदान कार्यक्रम ( नेशनल सेमिनार कम कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम ) के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक थीं। कार्यक्रम त्रिपुरा विश्वविद्यालय में हुआ।

प्रतिमा भौमिक ने समस्त अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर सत्र का उद्घाटन किया। इसके साथ ही महाराजा वीर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुमंता चक्रबर्ती ने स्वागत भाषण दिया। अपने स्वागत भाषण में उन्होंने महाराजा वीर विक्रम विश्वविद्यालय में हो रहे सभी कार्यों की एक संक्षिप्त रूपरेखा केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक एवं समस्त अतिथियों के बीच रखा। साथ ही उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास पे प्रकाश डाला। कार्यक्रम में भाग लेने आए प्रो. प्रोजित कुमार पालित (इतिहास विभाग, आसाम यूनिवर्सिटी, सिलचर) ने सनातन संस्कृति के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला एवं इतिहास में गुमनाम अनसुलझी गुत्थी को सुलझाने के लिए साक्ष्यों के संकलन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने अपने संबोधन की शुरुवात प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से किया। भौमिक ने कहा कि नालंदा हमारी पहचान है। नालंदा विश्वविद्यालय सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिए गौरव प्रदान करने वाला अनमोल धरोहर है। उन्होंने नव नालंदा महाविहार के छात्रों के दल का हृदय से स्वागत त्रिपुरा के प्रतीक अंग वस्त्र दे कर किया । प्रतिमा भौमिक ने कहा कि सनातन एवं बौद्ध धर्म दोनों एक हैं। सनातन संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति हैं और इस संस्कृति को जीवित रखने एवं इसको आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। इसका भार युवाओं के कंधो पर हैं। हमें अपने संस्कृति पर गर्व होना चाहिए साथ ही हम अपनी भाषा एवं संस्कृति का अपने दैनिक जीवन में उपयोग करें, आदि महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर बल दिया।

वैदिक मंत्रों से प्रोफेसर कर्ण ने शुरुआत

समारोह में भाग लेने आए विशिष्ट अतिथि ( की-नोट स्पीकर) प्रो. विजय कुमार कर्ण (विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग, नव नालंदा महाविहार) ने अपने संबोधन की शुरुआत वैदिक मन्त्रों से किया। प्रोफेसर. कर्ण ने धर्म को रिलिजन समझ लेने की भूल करने वाले विद्वानों को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया और उन्होंने कहा कि हम धर्म को रिलिजन के अर्थ में कभी भी समझने की भूल ना करें। साथ ही सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य उन्होंने मंचस्थ अतिथियों के समक्ष ये रखी की हमारी संस्कृति “अनेकता में एकता” को प्रदर्शित नहीं करती बल्कि “एकता में अनेकता” को रेखांकित करती हैं। बौद्ध भिक्षु भंते केमाचेरा ( वाइस चेयरमैन, धमा दीपा फाउंडेशन) ने कहा कि बौद्ध धर्म एक जीवन दर्शन हैं। हम इस जीवन दर्शन को अपनाकर सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापित कर सकते हैं।

कुलपति प्रोफेसर पोधार ने किया स्वागत

समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. सत्यदेव पोधार (वीर विक्रम विश्वविद्यालय, त्रिपुरा) ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। प्रो. सत्यदेव पोधार ने कहा कि हमारी ताक़त हमारी संस्कृति हैं , हमें इसे कदापि नहीं भूलना हैं। उन्होंने सांस्कृतिक एक्सचेंज प्रोग्राम के महत्त्व पर विशेष जोड़ डाला, उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के बदौलत बिहार के बच्चे त्रिपुरा की संस्कृति से रूबरू होंगे और त्रिपुरा के बच्चे बिहार की संस्कृति को जानेंगे । धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर. बिंदा रंजना चकमा ने किया।

दूसरा सत्र में ४० शोधपत्रों का वाचन हुआ

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के बाद टेक्निकल सत्र में कुल 40 शोध पत्रों का वाचन किया गया। जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोध छात्रों एवं शिक्षकों ने शोध पत्र का वाचन किया। नव नालन्दा महाविहार के कुल 5 शोधार्थियों ने भाग लिया। जिसमें जितेन्द्र कुमार (असिस्टेंट प्रोफेसर, प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग), मनीष कुमार चौधरी ( रिसर्च स्कॉलर, दर्शनशास्त्र विभाग) भंते धमारत्न ( रिसर्च स्कॉलर, तिब्बतन विभाग), ज्योति कुमारी ( रिसर्च स्कॉलर, पालि विभाग) एवं सोनी कुमारी (एम.ए बौद्ध- अध्ययन विभाग) ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया।

दोनों विवि के छात्रों ने प्रस्तुत किए कार्यक्रम

टेक्निकल सत्र के उपरान्त कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम के अन्तर्गत महाराजा बीर बिक्रम विश्वविद्यालय एवं नव नालन्दा महाविहार के विद्यार्थियों के दल के द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया गया। सर्वप्रथम महाराजा वीर विक्रम विश्वविद्यालय के छात्रों के द्वारा फोक म्यूजिक, नृत्य , और ग्रुप डांस के द्वारा त्रिपुरा की संस्कृति को प्रदर्शित किया गया।

लघु नाटिका प्रस्तुत की

इसके उपरान्त नव नालंदा महाविहार, नालंदा,बिहार के छात्रों के दल के द्वारा एक लघु नाटिका को प्रस्तुत किया गया जिसका शीर्षक – “सत्य एक, मार्ग अनेक” था। इस लघु नाटिका की रचना प्रोफसर. विजय कुमार कर्ण के द्वारा की गई थी। और इसकी प्रस्तुति सामूहिक रूप से महाविहार के छात्रों के द्वारा की गई जिसमें मनीष कुमार चौधरी, आंनद कुमार, राहुल कुमार,अविनाश कुमार पाण्डे, सुधांशु कुमार, सुधीर कुमार, ब्रजेश कुमार, धमा रत्न, सोनी कुमारी,ज्योति कुमारी एवं सुलोचना वर्मा थे।

प्रस्तुत की बिहार गौरव गाथा

इसके साथ ही “बिहार गौरव गाथा” गीत मनीष कुमार चौधरी एवं सुधांशु कुमार के द्वारा प्रस्तुत किया गया, विद्यापति गीत मनीष कुमार चौधरी के द्वारा प्रस्तुत किया गया, मैथिली लोक गीत राहुल कुमार के द्वारा प्रस्तुत किया गया, भोजपुरी छठ पर्व गीत ब्रजेश कुमार के द्वारा प्रस्तुत किया गया, मगही लोकगीत ज्योति कुमारी एवं सुलोचना वर्मा के द्वारा प्रस्तुत किया गया, श्री नालन्दा महाविहार गौरव गाथा गीत आंनद कुमार के द्वारा प्रस्तुत किया गया, तलवार बाजी सुलोचना वर्मा के द्वारा प्रस्तुत किया गया, लाइव पेंटिंग अविनाश कुमार पाण्डे के द्वारा प्रस्तुत किया गया एवं बिहार की संस्कृति को प्रदर्शित करता लोक नृत्य जट -जटिन सोनी कुमारी एवं सुलोचना वर्मा के द्वारा प्रस्तुत किया गया।

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