लखनऊ। गुरुवार को सुबह से दिन भर की मशक्कत के बाद बहुत निराशा के बाद एक छोटे से बछड़े की जान बचाने में कामयाबी मिल पाई। सुबह से सैकड़ों कॉल मिला मिला कर थक गए परंतु हर जगह से फिर आगे के नंबर ट्राई करने के लिए ही आश्वासन मिला।
अंतता प्रशांत भाटिया जी को ही कॉल करके उनसे मदद की गुहार लगाई गई छोटे से नन्हे से प्यारे से बछड़े के लिए तब जाकर नगर निगम एक्टिव हुआ और शाम 4:10 बजे पर गाड़ी आई। जिनको जो जिम्मेदारी दी गई है समाज में जिस चीज कि वह तनख्वाह उठाते हैं यदि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को समझें और ईमानदारी के साथ निभाए तो आम जनता को इस तरह से परेशान ना होना पड़े। एक छोटे से काम के लिए सुबह 10:00 बजे से शाम के 4:00 बज गए दुखद है या बहुत।
क्या यह जरूरी है कि हर छोटे बड़े काम के लिए आला अधिकारियों से ही चूड़ी टाइट करवानी पड़े तब जाकर काम हो ?
अंत भला तो सब भला।
नन्हे बछड़े को इलाज के लिए कान्हा उपवन भेजा गया है। हम प्रभु से बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं.
(समाजसेवी वर्षा वर्मा ने जैसा सोशल मीडिया में साझा किया )
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