- प्रमुख वक्ता प्रो. विजय कुमार कर्ण ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारतीय धरोहर को बचाने का प्रयास है. उन्होंने 64 कलाओं के माध्यम से पारंपरिक भारतीय ज्ञान की समृद्धि को रेखांकित किया. इन कलाओं के माध्यम से सृजनात्मक शिक्षण-प्रशिक्षण और रोजगार प्राप्त किया जा सकता है।
दिल्ली, 18 मार्च। त्रिपुरा विश्वविद्यालय, सूर्यमणिनगर (Tripura University ) में 17-18 मार्च, 2023 को आयोजित पूर्वोत्तर ज्ञानोत्सव में 18 मार्च 2023 को कई तकनीकी सत्र आयोजित की गए। सबसे पहले सुबह 10 बजे तृतीय तकनीकी सत्र का शुभारंभ हुआ. इस तकनीकी सत्र का उपशीर्षक था- भारतीय ज्ञान परंपरा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020 ) उक्त सत्र की अध्यक्षता प्रो. सुकान्त कुमार सेनापति, निदेशक, राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, एकलव्य परिसर, अगरतला ने की. मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. विजय कुमार कर्ण, नव नालंदा महाविहार, नालंदा, बिहार तथा डॉ. परस्मिता बोरदोलई, कॉटन विश्वविद्यालय, गुवाहाटी की गरिमामय उपस्थिति रही
प्रो. सुकान्त कुमार सेनापति ने भारतीय ज्ञान परंपरा के ऐतिहासिक पक्षों को बहुत ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया. उन्होंने संस्कृत वांग्मय में उपलब्ध विविध ज्ञानानुशासनो की सविस्तार चर्चा की. इस क्रम में प्रो. सेनापति ने आयुध-शास्त्र, खगोल शास्त्र, परमाणु सिद्धांत, स्फोटवाद, ज्यामितिय सिद्धांत, ज्योतिष, योग, आयुर्वेद आदि भारतीय ज्ञान परंपरा की निरंतरता को सामने रखा और स्पष्ट शब्दों में कहा कि हमारी विरासत बहुत ही समृद्ध है और इस परंपरा की प्रतिध्वनि वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP2020)में है।
इस सत्र के प्रमुख वक्ता प्रो. विजय कुमार कर्ण (Prof. Vijay Kumar Karn – NAVA NALANDA MAHAVIHARA bihar ) ने दिनकर की कविता से अपनी बात प्रारंभ की. उन्होंने ओजस्वी शैली में भारतीय ज्ञान की समृद्ध परंपरा पर सविस्तार चर्चा की. प्रो. विजय कुमार कर्ण (Prof. Vijay Kumar Karn – NAVA NALANDA MAHAVIHARA bihar ) ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारतीय धरोहर को बचाने का प्रयास है. उन्होंने 64 कलाओं के माध्यम से पारंपरिक भारतीय ज्ञान की समृद्धि को रेखांकित किया. इन कलाओं के माध्यम से सृजनात्मक शिक्षण-प्रशिक्षण और रोजगार प्राप्त किया जा सकता है।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय के चिंतन को अपने वक्तव्य में स्थान देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति २२०० (NEP 2020) हर हाथ को रोजगार देने का प्रयास है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के महत्व को प्रतिपादित करते हुए प्रो. कर्ण (Prof. Vijay Kumar Karn – NAVA NALANDA MAHAVIHARA bihar ) ने यह स्थापित किया कि उक्त शिक्षा नीति कमाने वाला खाएगा , की प्रवृत्ति को तिरस्कृत करता है और जो जन्मा है , वह खाएगा का शंखनाद करता है।
डॉ. परस्मिता जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि शिक्षा के द्वारा स्वस्थ्य राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब प्रत्येक व्यक्ति शिक्षित होगें तभी देश आगे बढ़ेगा। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि उक्त नीति के माध्यम से बच्चों में सृजनात्मकता का विकास हो सकेगा. डॉ. परस्मिता ने पूर्वोत्तर में विलुप्त होती भाषाओं पर अपनी चिंता प्रकट करते हुए इसके संरक्षण पर विशेष बल दिया. उक्त सत्र का कुशल संचालन डॉ. काली चरण झा, हिंदी विभाग, त्रिपुरा विश्वविद्यालय द्वारा किया गया।
चतुर्थ तकनीकी सत्र :
उक्त तकनीकी सत्र का उपशीर्षक था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० ((National Education Policy 2020 ) का क्रियान्वयन : दिशानिर्देश. इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. देबब्रत दास, कुलपति, राजीव गाँधी विश्वविद्यालय ऑफ़ कॉपरेटिव मैनेजमेंट, शिवसागर, आसाम ने की. मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. सत्यदेव पोद्दार, कुलपति, महाराजा बीर बिक्रम विश्वविद्यालय, अगरतला तथा प्रो. हितेंद्र कुमार मिश्र, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, नेहू, शिलांग उपस्थित रहे. प्रो. दास ने पूर्वोत्तर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के क्रियान्वयन में आने वाली कठिनाइयों पर सविस्तार चर्चा की.
Tripura University news : उन्होंने सम्पूर्ण उच्च शिक्षण संस्थानों को सशक्त करने की आवश्यकता को रेखांकित किया और इसके लिए खुला विश्वविद्यालय के महत्व को प्रतिपादित किया. प्रो. दास ने कौशल और व्यावसायिक शिक्षण को अधिक व्यावहारिक बनाने का आग्रह किया. प्रो. सत्यदेव पोद्दार ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सभी शिक्षण संस्थानों को आधुनिक तकनीकी से समृद्ध करने की आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy 2020 ) के सफल क्रियान्वयन के लिए शिक्षण संस्थानों में आधारभूत संरचना के विकास तथा अध्यापकों की कमी को तत्काल दूर करने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया.
प्रो. हितेंद्र कुमार मिश्र ने उक्त शिक्षा नीति (NEP 2020) के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि यह नीति देश की वर्तमान आवश्यकता के अनुरूप शिक्षा को ढालने का सफल प्रयास है. उत्तर पूर्व के शिक्षण संस्थानों में इसके सफल क्रियान्वयन के प्रति आशान्वित प्रो. मिश्र ने उक्त राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० (National Education Policy 2020 ) को भारत के भविष्य का दिशानिर्देश कहा है. उक्त सत्र का संचालन डॉ. आलोक सिंह, अतिथि प्राध्यापक, हिंदी विभाग, नेहू, शिलांग द्वारा किया गया.
समापन समारोह में कुलपति प्रो. गंगाप्रसाद प्रसाईं ने किया धन्यवाद ज्ञापन
campussamachar.com, : पूर्वोत्तर ज्ञानोत्सव के समापन सत्र में सर्वप्रथम डॉ. काली चरण झा, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग, त्रिपुरा विश्वविद्यालय ने दो दिन चले इस ज्ञानोत्सव का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. तत्पश्चात डॉ. तिमिर त्रिपाठी, क्षेत्र संयोजक, पूर्वोत्तर प्रभार, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने न्यास के सचिव डॉ. अतुल कोठारी का संदेश वाचन किया. उक्त ज्ञानोत्सव में त्रिपुरा विश्वविद्यालय के कुलसचिव तथा कार्यक्रम संयोजक डॉ. दीपक शर्मा द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० ((National Education Policy 2020 ) ) के माध्यम से आत्मनिर्भर पूर्वोत्तर विषयक एक प्रस्ताव रखा गया तथा सभागार में उपस्थित सभी व्यक्तियों ने एक मत से उक्त प्रस्ताव का अनुमोदन किया. अंत में सत्र की अध्यक्षता कर रहे त्रिपुरा विश्वविद्यालय के सम्मानित कुलपति प्रो. गंगाप्रसाद प्रसाईं Prof. Ganga Prasad Prasain , Vice Chancellor Tripura University ने सभी सम्मानित प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र देकर कार्यक्रम से जुड़े सभी सुधीजनों का धन्यवाद ज्ञापन किया. राष्ट्रीय गीत के साथ द्वि दिवसीय पूर्वोत्तर ज्ञानोत्सव का समापन हुआ. प्रस्तुति- डॉ. काली चरण झा।