- छायाचित्रकार शैलेंद्र कुमार के छायाचित्रों को खूब मिल रही नगर के कलाप्रेमियों, कलाकारों की प्रसंशा और सराहना।
- आप कर सकते हैं इनके सांस्कृतिक एवं विरासत छायाचित्रों का संग्रह।
- शैलेन्द्र कुमार ने लगभग चार दशकों से अधिक की अपनी कला-यात्रा में विभिन्न विषयों पर जो श्रृंखलाबद्ध फोटोग्राफी की है
लखनऊ,16 फरवरी, पिछले दिनों नगर के सराका आर्ट गैलरी, होटल लेबुआ में पटना, बिहार के सांस्कृतिक एवं विरासत छायाचित्रकार शैलेन्द्र कुमार के 25 छायाचित्रों की प्रदर्शनी “कल्चरल फ्रेम्स ऑफ़ इंडिया” लगाई गयी थी। इस प्रदर्शनी की क्यूरेटर वंदना सहगल हैं। जिसे अब कलाप्रेमियों के मांग पर अवलोकनार्थ हेतु आगामी 27 फ़रवरी 2023 तक बढ़ा दिया गया है। अब यह प्रदर्शनी आप फ़रवरी के अंत तक देख सकते है।
उक्त जानकारी देते हुए प्रदर्शनी कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ( bhupendra k. asthana Fine Art Professional ) ने बताया कि छायाचित्रकार शैलेंद्र कुमार के छायाचित्रों को खूब मिल रही नगर के कलाप्रेमियों, कलाकारों की प्रसंशा और सराहना। इसी कड़ी में बुधवार को एम्स रायबरेली के अध्यक्ष प्रो (डॉ) ए के सिंह एवं विजय आचार्य ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होने शैलेंद्र कुमार के सांस्कृतिक एवं विरासत और कलात्मक छायाचित्रों की प्रशंसा की और जलज स्मृति सम्मान की बधाई भी दी।
ज्ञातव्य हो कि यह प्रदर्शनी रूपकृति ओपेन आर्ट स्पेस द्वारा आयोजित जलज स्मृति समारोह के दौरान लगाई गयी है। इसमें प्रदर्शित सभी छायाचित्र भारत के सामाजिक व सांस्कृतिक विविधता को दर्शाने वाले पकलात्मक दृश्य को प्रस्तुत करती है। पटना, बिहार के वरिष्ठ छायाचित्रकार श्री शैलेंद्र कुमार को धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धरोहरों के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान को देखते हुए चुना गया है। विदित हो कि कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना से पेंटिंग विषय के स्नातक शैलेंद्र पिछले 42 वर्षों से लगातार भारत के सांस्कृतिक रंगों एवं विरासत को अपने छायाचित्रों के माध्यम से सहेज रहे हैं।
इन छायाचित्रों की रेट्रोस्पेक्टिव शो, एकल और अनेकों समूहिक प्रदर्शनियां भी लगाई जा चुकी हैं । साथ ही अनेक कार्यशालाओं, कला शिविरों, स्लाइड शो में भी आपकी भागीदारी रही है। इतना ही नहीं विदेशों में आयोजित अनेक प्रदर्शनियों में भी आपके कलात्मक छायाचित्र प्रदर्शित एवं संग्रहित हो चुके हैं। कलात्मक फोटोग्राफी में अपने विशेष योगदान के लिए आपको अनेक सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त हैं। हालांकि लगभग चार दशकों से अधिक की अपनी कला-यात्रा में उन्होंने विभिन्न विषयों पर जो श्रृंखलाबद्ध फोटोग्राफी की है उसकी एक लंबी सूची है। जिनमें लोकजीवन से लेकर, तीज-त्यौहार, धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन व पर्यटन स्थल के साथ-साथ सोनपुर मेला जैसे आयोजन की श्रृंखला शामिल है।
अपनी नौकरी के दौरान वे इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, पटना से बतौर छायाकार जुड़े रहे। इस क्रम में ऑपरेशन थियेटर से लेकर विभिन्न चिकित्सीय प्रयोगों की फोटोग्राफी भी वे करते रहे। बहरहाल इस प्रदर्शनी में उनके जो छायाचित्र शामिल हैं वे लोक-आस्था और उत्सवों से जुड़े हैं। भारतीय जन-जीवन में होली के त्यौहार के विशेष महत्व से हम सभी परिचित हैं, देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तौर तरीकों से इसे मनाया जाता है। शैलेन्द्र ने वर्षों अलग-अलग शहरों में जाकर इसे अपने कैमरे में कैद किया है। जिनमें बनारस की भस्म होली से लेकर ब्रज की अनूठी होली के रंग और छटाएं संजोई हुई हैं । वहीं बिहार में प्रतिवर्ष आयोजित होनेवाले छठ और हरिद्वार महाकुम्भ की नयनाभिराम छवियां भी यहां दर्शकों को देखने को मिलेगी। जाहिर है इन छायाचित्रों में शैलेन्द्र की संयोजन क्षमता और अपने माध्यम पर उनकी तकनीकी पकड़ भी स्पष्ट दृष्टिगत हैं।
साथ ही बनारस के घाटों की वह श्रृंखला भी यहां उपस्थित हैं, जो अपने श्वेत-श्याम स्वरूप में हमारे सामने हैं। शैलेन्द्र मूलत: एक कलाकार हैं, इसलिए अपने छायाचित्रों की गुणवत्ता में वृद्धि एवं उसे और भी अर्थपूर्ण बनाने के लिए कंप्यूटर तकनीक की सहायता भी लेते हैं। सामान्य तौर पर इसके लिए वे फोटोशॉप साप्टवेयर की मदद लेते हैं। कतिपय इन्हीं कारणों से उनके छायाचित्र सिर्फ कैमरे का कमाल न होकर उनकी संयोजन क्षमता एवं कलात्मक दृष्टि का समन्वय प्रस्तुत करती है।