- प्रदर्शनी ‘कलालिपि’ इंस्क्रिप्शन ऑफ ए स्कल्पटर प्रदर्शनी का उद्घाटन लखनऊ के मॉल एवेन्यू स्थित लेबुआ होटल की सराका आर्ट गैलरी में हुआ
- प्रदर्शनी की सराहना करते हुए यतींद्र मिश्र ने कलाकार रमेश बिष्ट को बधाई और शुभकामनाएं दी साथ ही यहां लगे चित्रों को सराहा
लखनऊ, 9 अक्टूबर . देश के प्रख्यात मूर्तिकार रमेश बिष्ट के रेखांकन की प्रदर्शनी ‘कलालिपि’ इंस्क्रिप्शन ऑफ ए स्कल्पटर प्रदर्शनी का उद्घाटन आज राजधानी लखनऊ के मॉल एवेन्यू स्थित लेबुआ होटल की सराका आर्ट गैलरी में हुआ। प्रदर्शनी का उद्घाटन यतीन्द्र मिश्र ( सुप्रसिद्ध कवि, लेखक एवं फ़िल्म समीक्षक ) के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया। कला प्रदर्शनी में क्यूरेटर वंदना सहगल,नवनित सहगल,वरिष्ठ चित्रकार अखिलेश निगम , चित्रकार भूपेन्द्र अस्थाना, कलाकार व कला समीक्षक जय त्रिपाठी और राजधानी के कई कलाकार, लेखक और दर्शक मौजूद रहे । प्रदर्शनी की सराहना करते हुए यतींद्र मिश्र ने कलाकार रमेश बिष्ट को बधाई और शुभकामनाएं दी साथ ही यहां लगे चित्रों को सराहा। रमेश बिष्ट ने अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए यहां उपस्थित दर्शकगण और उनके कुछ पुराने चित्रकार मित्रों से कला को लेकर विचार विमर्श किया। भारी संख्या में मौजूद दर्शकों ने रमेश बिष्ट के चित्रों की सराहना की व लखनऊ में इस तरह की कला गतिविधियों व लगातार चलाई जाने वाली प्रदर्शनी के लिए क्यूरेटर वंदना सहगल धन्यवाद दिया। यह प्रदर्शनी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें वरिष्ठ मूर्तिकार रमेश बिष्ट के रेखांकनओं के साथ मूर्ति शिल्प को वंदना सहगल द्वारा विशेष रूप से चयनित कर प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी की क्यूरेटर वंदना सहगल ने प्रदर्शनी में रमेश बिष्ट के 26 चित्रों के साथ 2 शिल्प भी प्रदर्शित किए।
समकालीन भारतीय कला में लगभग पाचं दशकों से कला की विविध विधाओं में लगातार काम कर रहे वरिष्ठ रमेश बिष्ट के रेखांकन की यह पहली एकल प्रदर्शनी लखनऊ में आयोजित की गई। अनेक उपलब्धियों से सम्मानित देश के इस मूर्धन्य मूर्तिकार ने व बहुमुखी प्रतिभा के धनी यह शिल्पकार के पत्थर, सीमेंट, लकड़ी ,प्लास्टर , वायर टेराकोटा व सेरेमिक आदि किसी भी माध्यम में बड़ी सहजता से अपने अनुसार शिल्प को आकार देने में सक्षम और सिद्धहस्त हैं ।रमेश बिष्ट के कुछ गिने चुने मुर्तिशिल्प भी इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित हैं ।
दीर्घा में प्रदर्शित रेखाचित्र की विशेषता है कि वह व्यक्ति, वस्तु, घटना आदि का एक निश्चित विवरण की न्यूनता के साथ-साथ तीव्र संवेदनात्मक है। रेखा चित्रांकन का सबसे महत्त्वपूर्ण उपकरण है, उस दृष्टिबिन्दु का निर्धारण, जहाँ चित्रकार अपने विषय का अवलोकन कर उसका अंकन करता है। रेखांकन में दृष्टि की सूक्ष्मता तथा कम से कम स्थान में अधिक से अधिक अभिव्यक्त करने की तत्परता परिलक्षित होती है। रेखाचित्र के लिए संकेत सामर्थ्य भी बहुत आवश्यक है- रेखाचित्रकार शब्दों और वाक्यों से परे भी बहुत कुछ कहने की क्षमता रखता है। रेखाचित्र के लिए उपयुक्त विषय का चुनाव भी बहुत महत्त्वपूर्ण है जो कि प्रदर्शनी में दिखा। कलाकार बिष्ट कहतें हैं रेखाचित्र के लिए विषय का बन्धन नहीं रहता, सब प्रकार के विषयों का इसमें समावेश हो सकता है। मूल चेतना के आधार पर रेखाचित्रों को अनेक वर्गों में रखा जा सकता है।
प्रदर्शनी के कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि यह प्रदर्शनी आगामी 5 नवंबर 2022 तक कला प्रेमियों के लिए लगी रहेगी। अस्थाना ने बताया कि जब एक मूर्धन्य मूर्तिकार की बात हो रही है तो कलाकार का परिचय कराना भी आवश्यक जान पड़ता है यह और कोई नहीं एक शांति पसंद आधुनिक कला जगत के वरिष्ठ समकालीन मूर्तिकार रमेश बिष्ट हैं। रमेश बिष्ट का जन्म 21 जनवरी 1945 ,लैंसडाउन में हुआ है। मूल रूप से बिष्ट जी लैंसडाउन उत्तराखंड के रहने वाले हैं। काफी लम्बे समय से में नई दिल्ली में रहते हैं और अपने स्थापित आर्ट स्टूडिओं में लगातार कला सृजन कार्य कर रहे हैं। इनकी कला की शिक्षा 1961 – 66 स्कल्पचर , और 1968 – सेरामिक से कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ से हुई है।
रमेश बिष्ट के कलाकृतियों के एकल एवं सामुहिक प्रदर्शनी भी दर्जनों की संख्या में देश विदेशों में लगाये जा चुके हैं। बनाये गए दर्जनों कलाकृतियों को अनेकों स्थानों पर प्रदर्शित किए गए हैं। इनके कलाकृतियों का संग्रह देश व विदेशों में अनेक प्राइवेट और संस्थाओं में किये गए हैं। साथ ही इन्हें अनेकों पुरस्कार व सम्मान से भी सम्मानित किया गया है।रमेश बिष्ट के मूर्तिशिल्प के साथ साथ उनके श्याम स्वेत रेखांकन हैं जो एक सशक्त रेखांकन हैं। रमेश बिष्ट प्रतिदिन ब्लैक इंक में इन दिनों सैकड़ों रेखांकन कर रहे हैं। उनका मानना है की एक कलाकार को अपनी निरंतर कला सृजन प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए चाहे वह स्केचिंग या रेखांकन ही किउं न हों। कला में रियाज़ की आवश्यकता होती है। रमेश बिष्ट ने कुछ मूर्तिशिल्प ज्वलंत मुद्दों पर भी बनाएं हैं। लखनऊ में भी रमेश बिष्ट के बनाये गए ब्रॉन्ज माध्यम में लोहिया और अंबेडकर के शिल्प डिस्प्ले हैं।