ओछे नर के पेट में, रहे न मोटी बात ।
आध सेर के पात्र में, कैसे सेर समात ।।
✍ मनुष्य द्वारा खाना पचाना आसान है लेकिन किसी की बात/राज/दुख/सुख को पचाना अत्यंत कठिन/दुरूह कार्य है ।
✍ सामान्य मनुष्य अपनी छिपाने वाली बातें/राज/दुख/सुख, किसी अपने को बताए बिना रह भी नहीं पाता ।
✍ हमे अपने सुख/दुख की चर्चा, प्रयास करके, किसी से भी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ये अपने प्रारब्ध/कर्मो का फल होता है ।
✍ अगर बताना ही पड़े तो परख ले कि व्यक्ति विश्वसनीय एवम गम्भीर हो, अन्यथा जगहँसाई हमारी ही होगी ।
आज की तिथि 5124 / 05-01-13/ 04 युगाब्द 5124, श्रावण शुक्ल त्रयोदशी बुधवार प्रदोष व्रत की पावन मंगल बेला में, गंभीर बातों को अपने तक ही सीमित रखने के संकल्प के साथ, नित्य की भांति, आपको मेरा “राम-राम” ।