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GGU News : श्रेष्ठ युवा और उद्यमी, सीयू की पहचान बनें- कुलपति प्रो. चक्रवाल

  • Vice Chancellor Professor Alok Kumar Chakrawal
  • कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण होने पर प्रो. चक्रवाल ने दोहराया संकल्प, स्वावलंबी छत्तीसगढ़ अभियान को युवाओं और उद्यमियों तक पहुचाएंगे
  • एक वर्ष में  कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई

बिलासपुर. गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय)Guru Ghasidas Vishwavidyalaya, Bilaspur)  के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल (Vice Chancellor Professor Alok Kumar Chakrawal) ने अपने पांच वर्षों के कार्यकाल का एक वर्ष दिनांक 24 जुलाई, 2022 को पूर्ण कर लिया। इस एक वर्ष में उन्होंने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को संपूर्ण स्वरूप में लागू करने में अग्रणी Guru Ghasidas Vishwavidyalaya, Bilaspur की भूमिका में रहते हुए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को लागू करना उल्लेखनीय है। वैश्विक महामारी कोरोना के बाद सफल दीक्षांत समारोह का आयोजन हो, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों एवं कंपनियों के साथ एमओयू हो या फिर प्रॉक्टर्ड ऑनलाइन एक्सामिनेशन कराने वाला पहला केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने का गौरव हो या फिर पहली बार स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर में प्रवेश हेतु सीयूईटी का हिस्सा बनकर लगभग तीन लाख से ज्यादा आवेदकों की पसंद बनना हो, राष्ट्रीय जनजातीय गौरव स्वतंत्रता संग्राम के महानायक भगवान बिरसा मुंडा जी पर किताब प्रकाशित करना हो या फिर विश्वविद्यालय की स्थापना के पश्चातत पहली बार प्राप्त हुई महिमा गुरु पीठ हो, सब कुछ एक वर्ष के कार्यकाल के कार्यकाल की बानगी मात्र है।
अकादमिक उपलब्धियां-
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020- Guru Ghasidas Vishwavidyalaya, Bilaspur  ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की नीति के अनुक्रम में शैक्षणिक सत्र 2022-23 से पीजी स्तर पर अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट बनाकर विद्यार्थियों को इसका लाभ प्रदान करने हेतु अध्यादेश, विनियम एवं एमओयू का मसौदा प्रारूपित किया है। अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का उद्देश्य पूरे देश में मल्टीपल एंट्री एंड एक्जिट ऑप्शन के साथ अधिक अंतरविषयक एवं बहुविषयक अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षा में छात्र केन्द्रित, शिक्षार्थी अनुकूल दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना है।
महिमा गुरु पीठ-

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की 556वीं बैठक में ‘‘महिमा गुरु‘‘ पीठ की स्थापना को मंजूरी दी गई। महिमा गुरु के नाम पर यह देश की एक मात्र पीठ है जिसकी स्थपना केन्द्रीय विश्वविद्यालय में की गई है। महिमा गुरु ने तत्कालीन सामाजिक कुरीतियों के विरूद्ध लोगों को जागरुक करते हुए साहित्य और आध्यात्म का संकल्प सिद्ध किया। महिमा गुरु ने तत्कालीन समाज के वंचितो, जनजातियों को जागरुक करने में अहम बूमिका निभाई। इस पीठ के माध्यम से उनके साहित्य, कविताओं और अन्य लेखों पर शोध किया जाएगा।
आईसीसीआर के साथ संबद्धता :

अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को यहां पढ़ने के लिए प्रेरित करने के लिए संबद्धता के पक्ष पर गहराई से कार्य किया गया ताकि विदेशी छात्र विश्वविद्यालय में आकर अध्ययन करें और यहां के इतिहास, कला, संस्कृति को जाने।
स्ववित्तीय कोर्स 2022-23 से प्रारंभ :

बीसीए, एलएलएम, बीएससी ऑर्गेनिक फार्मिंग, बीएससी डेयरी टेकनालॉजी, बीएचएम एवं एमएससी माइक्रोबायलोजी।
10 सेंटर फॉर एक्सीलेंस के लिए शिक्षा मंत्रालय को लगभग डेढ़ हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव भेजे गये हैं। इसमें सेंट्रल रिसर्च फैसेलिटी के लिए डीएसटी को 112 करोड़ का प्रस्ताव भी शामिल हैं।
नये विभागों के लिए प्रस्ताव :

संस्कृत, दर्शन एवं धर्म, समाज शास्त्र, गृह विज्ञान, माइनिंग एवं जियोलॉजी के खोले जाने हेतु प्रस्ताव यूजीसी के सम्मुख भेजे गये हैं। इसके साथ ही नैनो साइंस, नैनो टेकनालॉजी एंड एडवांस मटेरियल्स, परफार्मिंग ऑर्ट्स, फाइन ऑर्ट्स एवं मनोविज्ञान विषय के प्रस्ताव शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार को भेजे गये हैं। टेकनालॉजी डिपार्टमेंट सेंटर इन दि इमर्जिंग एरियास ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेकनालॉजी का प्रस्ताव एआईसीटीई को भेजा गया है।
डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र :

विश्वविद्यालय में डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना होगी। देश के 31 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में एक साथ डॉ. आंबेडकर उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना से अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए एक ही स्थान पर विशेषज्ञों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। विश्वविद्यालयों में डॉ. आंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र के माध्यम से निःशुल्क कोचिंग दी जाएगी। हर केंद्र में 100 सीटें होंगी। निःशुल्क कोचिंग के लिए प्रवेश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक प्रवेश परीक्षा के आधार पर होगा।
स्वावलंबी छत्तीसगढ़ परियोजना :
स्वावलंबी छत्तीसगढ़ परियोजना को मूर्त स्वरूप प्रदान कर छत्तीसगढ़ की स्थानीयता की प्राथमिकता को सर्वोपरि रखा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अनुभव आधारित एवं रोजगारपरख शिक्षा पर बल देती है। छत्तीसगढ़ के एक मात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने अपने सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वाहन करते हुए युवा विद्यार्थियों के लिए अनुभव आधारित शिक्षा के साथ धनोपार्जन के विकल्प को खोल दिया है। न सिर्फ इससे युवाओं को लाभ होगा बल्कि राज्य, देश और दुनिया में काम करने वाली विभिन्न कंपनियों, व्यवसायियों और उद्यमियों को कुशल एवं कार्य सक्षम युवाओं का भंडार मिलेगा। स्वावलंबी छत्तीसगढ़ के माध्मय से युवा अपनी पढ़ाई के साथ रोजगार के साधनों पर भी कार्य करेंगे। इस हेतु विश्वविद्यालय ने कंपनियों, उद्यमियों एवं युवाओं के लिए एक पोर्टल भी प्रारंभ कर दिया है जहां पर पंजीयन कराकर दोनों ही पक्ष इसका संपूर्ण स्वरूप में लाभ ले सकेंगे, जो अपनी तरह की अनूठी पहल है।
50 से ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के एमओयू :
मलेशिया के यूटीएआर विश्वविद्यालय, एंटरप्रिन्योरशिप डेवेलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (ईडीआईआई) अहमदाबाद, रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन (आरएफआरएफ) भारतीय शिक्षण मंडल नागपुर, पीडब्यूडी बिलासपुर, सीपेट रायपुर, एमएसएमई दुर्ग, बीएसएनएल बिलासपुर, जिरोहलैब्स बैंगलोर, स्मार्ट ब्रिज हैदराबाद, एटू एनवायरमेंट रायपुर एवं निको जायसवाल रायपुर के मध्य एमओयू हुआ। यह सभी समझौता ज्ञापन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में सहयोगी होंगे। यह समझौता ज्ञापन Guru Ghasidas Vishwavidyalaya, Bilaspur  को राष्ट्रीय मानचित्र पर साहस, समन्वय, सहयोग, सकारात्मकता और सृजनशीलता, उद्यमिता विकास और कौशल को प्रोत्साहित करने के नये प्रतिमान स्थापित करने में मदद करेगे।
आठवां अंतरराष्ट्रीय योग :

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने Guru Ghasidas Vishwavidyalaya, Bilaspur  को देश के 75 आइकॉनिक हायर एजुकेशन की सूची में शामिल करते हुए 60वां स्थान प्रदान किया।
अधोसंरचना विकास
Guru Ghasidas Vishwavidyalaya, Bilaspur के भव्य मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण कार्य को पूर्ण कराकर उसका उद्घाटन किया। परमपूज्य गुरु घासीदास जी की प्रतिमा के प्लेटफार्म एवं डॉ. बी.आर. आंबेडक की प्रतिमा के चारों ओर को जीर्णोदार एवं विकास के कार्य किये गये।
शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की ईडब्ल्यूएस स्कीम के अंतर्गत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा स्वीकृत 60.60 करोड़ रुपये के तीन भवनों जिनमें मल्टी स्टोरी लेक्चर कॉम्पलेक्स, 250 छात्राओं की क्षमता वाला बालिका छात्रावास एवं 250 छात्रों की क्षमता वाला बालक छात्रावास शामिल है का भूमि पूजन किया गया। इन भवनों के निर्माण कार्य को पूरा करने की संभावित तिथि दिसंबर 2023 निर्धारित है।
हेफा के अंतर्गत 82.76 करोड़ रुपये के पांच भवनों का निर्माण मेकॉन लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। जिसमें योग व ध्यान केन्द्र, एक बालक छात्रावास, सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिग एवं इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग के भवन शामिल हैं। एनपीसीसीएल से Guru Ghasidas Vishwavidyalaya, Bilaspur  में विभिन्न विभागों के आठ निर्माण कार्यों का कार्य पूर्ण हो चुका है। इसके हस्तातरण का कार्य प्रक्रियागत है।

रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा

एनर्जी को बढ़ावा देते हुए Guru Ghasidas Vishwavidyalaya, Bilaspur में 2 मैगावॉट का रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट के प्रतिस्थापन का कार्य लगभग पूर्णता की ओर है। जिससे विश्वविद्यालय विधुत के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के साथ ही अतिरिक्त उत्पन्न होने वाली विद्युत को बिजली विभाग को उपलब्ध कराएगा। यूपीआरएनएनएल द्वारा विश्वविद्यालय में दो बालिका छात्रावासों का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है जो वर्तमान सत्र से परिचालन योग्य है।
विश्वविद्यालय को शिक्षा मंत्रालय द्वारा हेफा के अतंर्गत बॉटनी, केमिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग एवं एंथ्रोपोलोजी व फोरेंसिंक साइंस विभाग हेतु 4 भवनों के निर्माण के लिए 96 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृति हेतु अनुमति प्रदान की है। Guru Ghasidas Vishwavidyalaya, Bilaspur में एथलेटिक्स, हॉकी, फुटबॉल के लिए एक नवीन खेल मैदान विकसित किया गया है।

Guru Ghasidas Vishwavidyalaya, Bilaspur  में खेल सुविधाओं के विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है, इस हेतु लगभग एक हजार करोड़ रुपये की परियोजना का प्रारूप तैयार किया गया है। इस परियोजना को स्टेट अफ दि आर्ट फैसिलिटी के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।  आने वाले समय में नैक सर्टिफिकेशन, एनआईआरएफ रैंकिंग में सुधार के प्रयास, एनबीए एक्रिडिटेशन, शोध की गुणवत्ता में विकास, नावाचार को प्रोत्साहन, पेटेंट फाइलिंग पर जोर, प्रतिष्ठित जर्नल में शोध पत्रों का प्रकाशन, टीचर्स एंड स्टूडेेट रेशू को बेहतर करने पर बल एवं छात्र एवं कंप्यूटर रेशो में सुधार के प्रयास किये जाएंगे।

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