भोपाल. एक कहावत है कि जब तक आप खुद आगे नहीं बढ़ते है तब तक आपका साथ कोई नहीं देता है। आत्मविश्वास, परोपकार और परहित से काम करने वाले लोगों से समाज को प्रेरणा मिलती है और ऐसे लोग समाज के लिये मील का पत्थर बन जाते है। हम भोपाल की एक ऐसी ही महिला की बात कर है जिसने खुद की जान की परवाह किये बगैर समाज के लोगों को समय पर इलाज दिलाकर उनकी जान बचाई। साथ ही कोरोना संक्रमण को फैलने से भी रोका। उन्होंने अपने प्रयासों से एक ही परिवार के 12 सदस्यों की जान भी बचाई।
इस मुहिम से ही जुड़े सीडीपीओ अखिलेश चतुर्वेदी की भी आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने में बड़ी भूमिका रही। माया सेन राजधानी भोपाल के गोविन्दपुरा सेक्टर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। भोपाल में कोविड संक्रमण तेजी से फैल रहा था। शहरी और घनी आबादी होने के कारण यहां पर खतरा ज्यादा था। क्योंकि उनके क्षेत्र में 12 से अधिक ऐसे बुजुर्ग लोग भी थे जिनको गंभीर बीमारियां थीं। माया ने समझा कि उनके क्षेत्र की स्थितियाँ संक्रमण के खतरे के लिए ज्यादा गंभीर हैं।
वे बताती हैं कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद हमने पीपीई किट पहनकर घर – घर सर्वे शुरू किया। हम उन लोगों के घर कई बार गए जिनके घरों में बीमार बुजुर्ग थे। हमने पाया कि उनकी तबीयत बिगड़ रही है और बहू – बेटे हमसे लगातार अपनी मां का हाल छुपा रहे थे। हमने उनको सलाह दी कि वे अपनी मां को तुरंत अस्पताल ले जाएं। मैं भी उनके साथ उनकी मदद के लिए अस्पताल जाने के लिए तैयार थी।
मायासेन ने दिया अपना मोबाइल नंबर,जरूरत हो तो बुला लेना
हमने अपना मोबाइल नंबर उनको दे कर बोला आप लोग गलती कर रहे हो फिर भी आप मेरा नंबर लिख लो और जरूरत होने पर मुझे बुला लेना। शाम को उनका फोन आया वे लोग बुरी तरह घबराए हुए थे और बोले कि मम्मी की तबीयत बिगड़ गई है आप जल्दी आओ हमारी मदद करो । हमने तुरंत 108 गाड़ी बुला ली और उनकी मां को हमीदिया अस्पताल में भर्ती करा दिया अगले दिन उनकी मां कोविड पॉजिटिव पाई गई। इसी बीच उनकी बहू जो सास की सेवा कर रही थी उसमें भी कोविड के लक्षण दिखने लगे। हमने फिर गाड़ी बुलवाई और जयप्रकाश चिकित्सालय ले जाकर उनकी बहू को भर्ती कराया। बाद में जांच में उनके परिवार के सभी 12 सदस्य कोविड पॉजिटिव पाए गए। मां के इलाज में देर हो गई थी इसलिए उनकी मां को नहीं बचाया जा सका।
12 सदस्य पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर घर लौटे
परिवार के बाकी सभी 12 सदस्य पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर घर लौट आए। माया ने बताया कि मेरे क्षेत्र में 14 नए केस पॉजिटिव आए, इससे सभी लोगों में बहुत दहशत भर गई। लोग बुरी तरह डरे हुए थे। हम रोज सुबह अपने घर से निकलते और क्षेत्र का भ्रमण करते। हम लगातार लोगों की जांच कर रहे थे। हमने सुरक्षा के सभी उपायों के बारे में घर-घर जाकर लोगों को जागरुक किया। जब कोई व्यक्ति रूबरू होकर समझाइश देता तो उसका अलग असर होता है। हम न डरे और न घबराए लोगों को मानसिक सहारा देने के लिए दीवारों पर अपना मोबाइल नंबर लिखा दिया ताकि जब भी दिक्कत हो वे हमें फोन करके बुला सकते हैं। समुदाय में कई ऐसे भी लोग थे, जिन्हें मास्क भी उपलब्ध नहीं था। हमने अपने घर में 1000 मास्क बनाएं और सभी बुजुर्ग, गर्भवती और छोटे बच्चों को घर-घर जाकर मास्क बांटे। कई लोग ऐसे थे जिनको मास्क पहनते नहीं बन रहा था, उनको मास्क पहनने का, हाथ धोने का डेमो भी दिया। आज रहवासी उन्हें धन्यवाद कहते हैं।