- अवधेश मिश्र के चित्र लोक और आधुनिक शैली का सम्मिलन : डॉ विद्या बिंदु सिंह
- विजूका पर आधारित अवधेश मिश्र के चित्र भावनाओं की प्रखर अभिव्यंजना : प्रो कुमकुम धर
- विजूका विषय पर बने ये चित्र दूर तक प्रभावी आवाज पहुंचाने में सक्षम : सुनीता झिंगरन
- ऐसी प्रदर्शनियां समाज को आत्ममंथन के लिए एक ज़रूरी सुझाव : प्रो राणा कृष्ण पाल सिंह
लखनऊ. कोविड के लम्बे सन्नाटे के बाद डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ ( Dr Shakuntala Misra National Rehabilitation University ) में मतदान के दो दिन पूर्व ललित कला विभाग के सहायक आचार्य डॉ अवधेश मिश्र के चित्रों की लोकप्रिय श्रृंखला बिजूका की प्रदर्शनी आयोजित हुई। अतिथियों में लोक संस्कृतिविद पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह, प्रख्यात कथक नृत्यांगना एवं पूर्व कुलपति, भातखंडे संगीत समविश्वविद्यालय प्रोफ़ेसर कुमकुम धर और प्रख्यात गायिका सुनीता झिंगरन और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राणा कृष्ण पाल सिंह उपस्थित थे।
21मार्च तक चलेगी प्रदर्शन, गंवर्ग संस्कृति का एक पात्र है बिजूका
यह प्रदर्शनी 21 मार्च 2022 तक चलेगी और इसके आगे की श्रृंखला बिजूका रिटन्र्स 26 मार्च से 1 अप्रैल 2022 तक कला स्रोत आर्ट गैलरी, अलीगंज, लखनऊ में प्रदर्शित की जाएगी। प्रदर्शनी की थीम बताते हुए Dr Shakuntala Misra National Rehabilitation University के सहायक आचार्य डॉ अवधेश मिश्र ने बताया कि विजूका गँवई संस्कृति से जुड़ा हुआ एक ऐसा पात्र है, जो कहीं आस्था और विश्वास का प्रतीक है तो कहीं वह निरीह और धोखा भी है। बिजूका के इसी अर्थबहुल ध्वनियों को रूपायित करते हुए समाज के विभिन्न वर्गों पर कटाक्ष ही नहीं एक प्रस्ताव देते हुए यह चित्र श्रृंखला रची गई है। जिसका प्रदर्शन जयपुर, भोपाल, मुंबई, ठाणे, पुणे, नई दिल्ली सहित देश के अनेक महानगरों में हो चुका है और ऐन चुनाव के वक्त इस प्रदर्शनी का महत्व इसके निहितार्थ के कारण और भी बढ़ जाता है।
अवधेश मिश्र के चित्र लोक और आधुनिक शैली का सम्मिलन : डॉ सिंह
प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए लोकसंस्कृतिविद पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह ने कहा डॉ अवधेश मिश्र की प्रदर्शनी कलात्मक अभिव्यक्ति से परिपूर्ण लोक और आधुनिक शैली का सम्मिलन और कला प्रवृत्तियों का पुनराविष्कार है। प्रतीकों और पात्र का प्रयोग बहुत से सलीके से किया गया है। इसके मुख्य पात्र विजूका का प्रयोग गाँव में लोग फसलों को पशु-पक्षियों से बचाने के लिए करते थे। उनको मारना नहीं चाहते थे, बल्कि डराना चाहते थे। इसी पात्र को आज के परिदृश्य में बड़े ही कलात्मकता के साथ प्रस्तुत किया गया है जो परंपरा और अतीत में झांकते हुए भविष्य संवारने का प्रस्ताव देता है। इससे कला जगत को एक नयी दिशा मिलेगी। यह भारतीय संस्कृति के प्राण तत्व के रूप में एक नए अध्याय की तरह स्वीकार किया जायेगा। डॉ अवधेश मिश्र और डॉ लीना मिश्र के विवाह की मंगल तिथि पर पति-पत्नी का कला और शिक्षा में समर्पण और नवाचार कला और शिक्षा जगत के लिए उदहारण बनेगा।
विजूका पर आधारित चित्र भावनाओं की प्रखर अभिव्यंजना : प्रो कुमकुम धर
प्रख्यात कथक नृत्यांगना एवं पूर्व कुलपति, भातखंडे संगीत समविश्वविद्यालय प्रोफ़ेसर कुमकुम धर ने कहा कि विजूका पर आधारित ये चित्र भावनाओं की प्रखर अभिव्यंजना हैं । इन चित्रों का शिल्प और रंगों का प्रयोग अद्भुत है। प्रकृति में कितने रंग हैं, जो हम इन चित्रों में देख सकते हैं ।
ये चित्र दूर तक प्रभावी आवाज पहुंचाने में सक्षम : सुनीता झिंगरन
राधा-कृष्ण पर आधारित दादरा सुनाते हुए प्रख्यात गायिका सुनीता झिंगरन ने इन कृतियों के चटक रंगों को होली का रंग बताया और कहा कि ये अद्भुत कृतियां जिंदगी के सभी पहलुओं को छूती, गुदगुदाती और सहलाती तो हैं ही, आत्ममंथन को भी प्रेरित करती हैं । इनमें ताज़े रंगों के साथ इतना बुलंद और आकर्षक आकारों का प्रयोग है जो बहुत दूर तक प्रभावी आवाज पहुंचाने में सक्षम है।
ऐसी प्रदर्शनियां समाज को आत्ममंथन के लिए एक सुझाव : कुलपति सिंह
Dr Shakuntala Misra National Rehabilitation University के कुलपति प्रोफेसर राणा कृष्ण पाल सिंह ने प्रदर्शनी के चित्रों के निहितार्थ पर बल देते हुए कहा कि ऐसी प्रदर्शनी से कला जगत और विद्यार्थियों को बहुत लाभ होगा । प्रख्यात कलाकार और सहायक आचार्य डॉ अवधेश मिश्र के इस प्रयास की सराहना करते हुए विश्वविद्यालय में कलात्मक गतिविधियों के सतत आयोजन की बात कही। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों में आत्मबल और सकारात्मक व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होते हैं । ऐसी प्रदर्शनियां समाज को आत्ममंथन के लिए एक ज़रूरी सुझाव भी होती हैं। ललित कला परास्नातक के छात्र सुमित कुमार ने इस अवसर पर Dr Shakuntala Misra National Rehabilitation University कुलपति प्रोफेसर सिंह का एक छवि तैल चित्र उन्हें भेंट किया।
ये खास लोग भी रहे उपस्थित
प्रदर्शनी में नगर के अनेक कलाकारों- प्रो सुनील सक्सेना, उमेन्द्र सिंह, अमित कुमार आदि के साथ ही प्रो पी राजीवनयन, प्रो राजेन्द्र प्रसाद सहित विश्वविद्यालय के आचार्यगण और छात्र छात्राएं उपस्थित थे।