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पर्व : जानिए कब और कैसे मनाएं मकर संक्रांति पर्व , क्या-क्या करें दान

देश -विदेश में मकर संक्रांति पर्व का अपना विशेष महत्व है। इस दिन न केवल स्नान किया जाता है बल्कि पात्रों को दान दिया जाता है। इस दिन दिए गए दान का बहुत ही महत्व माना जाता है।
इस बार मकर संक्रांति के बारे में पंडित मूलचंद शास्त्री ने महत्वपूर्ण जानकारी दी है। पढि़ए मकर संक्राति पर्व पर पंडित शास्त्री जी के विचार
भगवान भूवन भाष्कर सूर्य ता:14 जनवरी शुक्रवार को रात 08/ 34 पर मकर राशि में प्रवेश कर जायेंगे और इसी के साथ सूर्य उत्तरायण भी हो जायेंगे । रात्रि में संक्रांति लगने से पुण्य काल अगले दिन शनिवार ता:15 को खिचडी का प्रसिद्ध पर्व मकर संक्रांति का मान्य रहेगा। सर्वत्र गंगा नदी वा अन्यत्र सरोवर में या घर पर जैसे सुविधा हो स्नान करें।
आज के दिन खिचड़ी खाना खिलाना , तील का लड्डू , कम्बल ,वस्त्र ,ऊनी वस्त्र , जुता ,चप्पल ,इत्यादि के दान का बहुत ही महत्व पुण्य फलकारक होता है। इसी दिन शनि प्रदोषकाल हैं , शिव पूजन का बहुत ही पूण्यदायक हैं । इस बार यह समर संयोग संक्रांति और प्रदोषकाल का समय 13 वर्ष बाद बन रहा हैं , गौ शाला में गौ माता का नंदी बाबा का पूजन सर्वश्रेष्ठ कहा गया है ।साथ ही पक्षियों को दाना देना । गौ माता को चारा दाना ,गुड , तेल ,हल्दी ,और तील का पदार्थ गौ माता को खिलाने से समस्त रोगो का समन होता हैं।
जय गौ माता
पं मूलचन्द्र शास्त्री , गांधी चौक कोरबा

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