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CG News : छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा ने सावित्रीबाई फुले को 191 वीं जयंती पर किया याद, महिलाओं को शिक्षित होने की जरूरत

रायपुर. छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा द्वारा पहली महिला स्कूल संचालित करने वाली सावित्रीबाई फुले की 191 वीं जयंती कोरबा में मनाई गई। ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के द्वारा रखा गया था, जिसमें अपने-अपने क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कार्य करने वाली महिलाओं ने शिक्षा की आवश्यकता एवं शिक्षा द्वारा महिला सशक्तिकरण कैसे संभव हो सकता है ? इस मुद्दे पर परिचर्चा की ।

डॉ फहराना अली ने रखी प्रस्तावना
इस कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा कोरबा इकाई की उपाध्यक्ष डॉ फहराना अली ने कहा कि बालिकाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है हमें अपने आस पास उपस्थित सभी स्त्रियों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

रुखसार सारा खान ने शिक्षा पर दिया जोर
मेडिकल सर्जिकल एड क्रिटिकल केयर रुखसार सारा खान ने कहा कि भावनात्मक, मानसिक एवं शारीरिक मुद्दों को समझने के लिए और उनसे जुड़ी समस्याओं को बेहतर तरीके से हल करने के लिए महिलाओं का शिक्षित होना आवश्यक है। पोषक तत्वों की आवश्यकता सम्बन्धी एवं बच्चों की देखभाल के सम्बन्ध में भी महिला का शिक्षित होना आज के समय में नितांत आवश्यक है। ।शिक्षित होने से महिलाओं में आत्मविश्वास आता है चिकित्सा एवं शारीरिक विज्ञान शिक्षण इसीलिए भी आवश्यक है जिससे महिलाएं अपने मासिक धर्म स्वच्छता उसे स्वयं द्वारा स्तन परीक्षा एवं सर्वाइकल कैंसर जैसे स्वास्थ सम्बन्धी विषयों एवं इन समस्याओं के लक्षणों को पहचानने के लिए सजग हो सके।

चित्रा सिंह ने कहा-महिला के शिक्षित होने से तीन पीढिय़ां होती हैं शिक्षित
हिसार से जुड़ी चित्रा सिंह ,विख्यात शिक्षिका और एस्ट्रोफिजिसिस्ट ने कहा कि जब एक महिला शिक्षित होती है तब 3 पीढिय़ां शिक्षित हो जाती हैं। शिक्षा मात्र शादी या नौकरी करने के लिए आवश्यक नहीं है बल्कि जीवन को समझने और जीवन से जुड़ी छोटे बड़े फ़ैसले करने के लिए जरूरी होती है। महिलाओं का दिमागी रूप से सजग होना बहुत आवश्यक है प्रत्येक महिला बहुकार्य परिचालन में सक्षम होती है इसीलिए यह तथ्यपरक है कि वह किसी भी चीज को सीखने और समझने में सक्षम होती है इसीलिए महिलाओं को कमतर नहीं आंकना चाहिए । “आज के परिवेश में महिलाएं प्रेशर कुकर की तरह हंै, उनको अपना तनाव मुक्त करने के लिए एक सिटी की आवश्यकता होती है “। महिलाओं को किसी ऐसे साथ की आवश्यकता होती है जो उनकी बातों को सुन सके जिसके समक्ष अपनी बातें वह रख सकें और उन पर जो सामाजिक पारिवारिक और मानसिक दबाव होते हैं उनको निस्संकोच वह किसी के साथ साझा कर सकते ।

वीना मिस्त्री ने कहा-शिक्षा की बेहतर हथियार
एड्स काउंसलर वीना मिस्त्री ने कहा कि आज भी स्त्रियों को पढऩे लिखने और अपनी बात रखने की आजादी नहीं दी जाती ।लगातार स्त्रियाँ मानसिक दबाव में रहती हैं और अपने अधिकारों के लिए लड़ नहीं पाती ऐसे में स्त्रियों के लिए शिक्षा बेहतर हथियार की तरह साबित हो सकता है ।

निशा चंद्रा ने कहा कि आत्मनिर्भर बनना जरूरी
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करतला में व्याख्याता निशा चन्द्रा ने कहा कि यह बहुत बड़ी विडंबना है की महिलाएं आज भी उपेक्षित और प्रताडि़त हैं। शिक्षा के माध्यम से महिलाएं आत्मविश्वास से सराबोर होकर जनकल्याण के कार्यों को सतत रूप से कर सकने में सक्षम बन सकती हैं अरुणा मैडम ने बताया कि शिक्षित होने के बावजूद आज भी महिलाओं का शोषण जारी है। क्योंकि वे शिक्षित तो हैं, परन्तु साहसी नहीं बन पाती हैं । ऐसे में अपनी बातों को रखने के लिए अपने अधिकारों हेतु लडऩे के लिए महिलाओं को निडरता और हिम्मत की आवश्यकता होती है।

गीतादेवी ने बताई सावित्री बाई फुले की जीवनी
गीता देवी हिमधर व्याख्याता ने कहा कि सावित्रीबाई फुले जयंती हर साल 3 जनवरी को समाज, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के प्रति उनके योगदान का सम्मान करने के लिए मनाई जाती है। उन्हें भारत की पहली आधुनिक नारीवादियों में से एक माना जाता है और उन्हें भारत की पहली महिला शिक्षक होने के लिए याद किया जाता है जिन्होंने शिक्षा और साक्षरता के क्षेत्र में महिलाओं और अछूतों के उत्थान के लिए काम किया। उनका जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था और उन्होंने नौ साल की उम्र में कार्यकर्ता और समाज सुधारक ज्योतिराव फुले से शादी कर ली थी।

…जब फुले ने पहला स्कूल खोला
अपने पति के समर्थन से, फुले ने पढऩा और लिखना सीखा और उन दोनों ने 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल भिडे वाड़ा नाम से स्थापित किया। महिलाओं और अछूतों को शिक्षित करने के विचार को उस समय एक क्रांतिकारी विचार माना जाता था। फुले ने भारत में 1854-55 के बीच और सत्यशोधक समाज (सत्यशोधक समाज) के बीच साक्षरता मिशन की शुरुआत की, जिसके माध्यम से वह अपने पति के साथ सत्यशोधक विवाह की प्रथा शुरू करना चाहती थी, जिसमें कोई दहेज नहीं लिया जाता था।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के सचिव दिनेश कुमार, मिथिलेश,आशीष पारे, डिंडोरे सर आदि सभी सदस्य जुड़े । कार्यक्रम का संचालन निधि सिंह छत्तीसगढ़ विज्ञानसभा संयुक्त सचिव ने सफलतापूर्वक किया। छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा लोकविज्ञान पर्यावरण सुधार और संतुलित विकास के लिए सतत रूप से कार्यशील है इनसे जुड़े सभी विषयों पर सभी सदस्य एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं ।

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