रायपुर/बिलासपुर.शासकीय प्राथमिक व मिडिल शालाओं में बच्चों को मिड डे मील वितरित करने वाले स्वसहायताा समूह इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। कई तो कर्ज में डूबने लगे हैं और इसे बचने का अभी कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। इसकी वजह है इन समूहों को शिक्षा विभाग की ओर से मिड डे मील की राशि का समय से भुगतान न करना।
शिक्षा विभाग ने कोरोना काल की अवधि का बच्चों का सूखा राशन वितरित करा रहा है। स्कूलों में मिड डे मील बनाने व बच्चों को खिलाने का काम करने वाले समूहों को ही सूखा राशन बांटने का काम दिया गया है। दो अगस्त से स्कूल खुल चुके हैं और वहां मिड डे मील बन रहा है। इन दोनों कामों में व्यय हो रही राशि का शिक्षा विभाग नियमित भुगतान नहीं कर रहा है लेकिन समूहों पर यह पूरा दबाव है कि वे न केवल स्कूलों में बच्चों के लिए मिड डे मील बनाएं बल्कि कोरोना काल की अवधि का सूखा राशन भी बच्चों को बांटे और उन्हें कन्वर्जंस राशि भी प्रदान करे। इन कामों में समूहों का अब तक हजारों रुपए खर्च हो चुक है और उन्हें शिक्षा विभाग से भुगतान नहीं मिल रहा है।
स्व सहायता समूह लगातार प्रधानपाठकों से राशि का भुगतान करने का निवेदन कर रहे हैं। उन्हें अपनी आर्थिक मजबूरी भी बता रहे हंै लेकिन प्रधान पाठक शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों के आगे चुप हैं। समूहों में अधिकांश ग्रामीण महिलाएं व पुरुष होते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर होती है, वे जैसे-तैसे व्यवस्था करके मिड डे मील बनाते हैं लेकिन समय से सरकार से भुगतान न मिलने के कारण व कर्ज में डूब रहे हैं। पैसे के अभाव में वे खेत में खड़ी फसल तक नहीं काट पा रहे हैं, क्योंकि इसके लिए उन्हें पैसा चाहिए। हालांकि अब समूहों से मौखिक रूप से उनसे एक बैंक विशेष खाता खोलने को कहा जा रहा है जबकि वर्तमान में समूहों के अलग-अलग बैंकों में खाते हैं और शिक्षा विभाग इन्हीं खातों में राशि ट्रांसफर करता आ रहा है लेकिन फिलहाल समूह फंसे हुए हैं। ऐसे में लग रहा है कि समूहों के सदस्यों की दीपावली भी फीकी होने वाली है।
छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक कल्याण संघ के प्रांताध्यक्ष सीके महिलांगे का कहना है कि यह सच बात है कि समूहों को भुगतान समय से नहीं हो रहा है,इससे समूह परेशान हैं। उन्होंंने उम्मीद जताई जल्द ही भुगतान होगा।