- प्रवेश लेने से पहले विद्यार्थियों के लिए जरूरी हो जाता है कि वह जिस संस्थान में प्रवेश ले रहे हैं वहां के बारे में पूरी तहकीकात करके यह समाधान कर लें कि वहां उनके UGC (University Grants Commission -UGC) के अनुरूप मानको के औरुओ पढ़ाई और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध भी हैं या नहीं ?
लखनऊ, 24 मई,campussamachar.com, । नए शैक्षिक सत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्स में प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही कई निजी विश्वविद्यालयों ( Private Universities in Uttar Pradesh ) की बीच अधिक से अधिक विद्यार्थियों को अपनी ओर खींचने के लिए होड शुरू हो गई है । उत्तर प्रदेश के प्रमुख निजी विश्वविद्यालय सोशल मीडिया पर भारी रकम देकर विज्ञापन के जरिए अपनी मार्केटिंग कर रहे हैं। इनमें कई विश्वविद्यालयों ने तो राजधानी और आसपास के शहरों में प्राइम लोकेशन पर भारी कीमत अदाकर आकर्षक होडिंग्स लगा रखे हैं ।
University Grants Commission : इन होर्डिंग्स में विश्वविद्यालय की महिमा का गुण गान करते हुए शिक्षा का उत्कृष्ट केंद्र बताया गया है। कई विश्वविद्यालयों ने तो अपनी NAAC की रैंकिंग को भी बड़ा हथियार बनाया है । हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान एक निजी विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा धरना प्रदर्शन किए जाने की खबर के कारण निजी विश्वविद्यालय को अपनी छवि की चिंता सताने लगी है । निजी विश्वविद्यालय में सबसे अधिक फीस प्रोफेशनल कोर्सेज की ली जाती है और इसलिए मार्केटिंग का केंद्र बिंदु यही प्रोफेशनल कोर्स ही है।
State Private Universities : यूजीसी (University Grants Commission -UGC ) के मुताबिक विश्वविद्यालय में बेहतर गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने के लिए मानक तैयार किए गए हैं, लेकिन इन विश्वविद्यालयों में एक ऐसा भी वर्ग है जो गुणवत्ता युक्त शिक्षा से ज्यादा अपनी मार्केटिंग के जरिए ब्रांड वैल्यू बना रहा है। इसी ब्रांड वैल्यू के सहारे अधिक से अधिक एडमिशन लेने की तैयारी है । जानकारी के अनुसार कई निजी विश्वविद्यालयों ने अपने ऐसे सेंटर भी लखनऊ में खोल रखे हैं, जहां पर प्रवेश प्रक्रिया से जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं । इनमें कुछ नमी कोचिंग संस्थान, साइबर कैफे और ग्राहक सेवा केंद्र भी जुड़े हुए हैं, जो ऐसे विश्वविद्यालय की मदद कर रहे हैं।
ADMISSION SESSION 2024-25 : मोटे तौर पर निजी विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय प्रबंधन तरह के प्रलोभन भी देता है। इनमें दो प्रमुख स्लोगन है स्कॉलरशिप और केंपस प्लेसमेंट। हालांकि दोनों दावे भी खरे नहीं उतरते हैं , क्योंकि न तो विद्यार्थियों को पूरी स्कॉलरशिप मिलती है और ना ही सभी विद्यार्थियों को प्लेसमेंट । उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग द्वारा दी जाने वाली स्कॉलरशिप में करोड़ों का घोटाला जिन शिक्षा संस्थानों में किया है , उनके कई संचालक गिरफ्तार हो चुके हैं और इनमें लखनऊ के भी शैक्षिक संस्थान शामिल हैं ।
Top Private Universities in Lucknow 2024 : ऐसे में प्रवेश लेने से पहले विद्यार्थियों के लिए जरूरी हो जाता है कि वह जिस संस्थान में प्रवेश ले रहे हैं वहां के बारे में पूरी तहकीकात करके यह समाधान कर लें कि वहां उनके UGC (University Grants Commission -UGC) के अनुरूप मानको के अनुरूप पढ़ाई और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध भी हैं या नहीं ?