लखनऊ. वेतन के लिए महीनों से इंतजार कर रहे लखनऊ जनपद के माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों का दर्द सुनने वाले बड़े-बड़े दिग्गज नेता न जाने कहां गायब हो गए। उन्हें शिक्षक तलाशते रहे लेकिन नहीं मिले। अच्छी बात तो यह है कि माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रदेशीय मंत्री डॉ.आरपी मिश्र ने कमान संभाली और ज्ञापन देने से लेकर धरना-प्रदर्शन तक इतना अधिक दबाव बनाया कि शिक्षा विभाग को बैकफुट पर आना पड़ा और शिक्षकों का वेतन बैंक खातों पहुंचने लगा।
यह दर्द है प्रदेश की राजधानी लखनऊ के माध्यमिक विद्यालयों के सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाओं व कर्मचारियों का। कई विद्यालयों के शिक्षकों को पिछले तीन-चार महीने से वेतन नहीं मिला है। सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना महामारी से पहले से परेशान चल रहे परिवारों का घर वेतन से ही चलता है और ऐसे में एक-दो नहीं बल्कि कई महीने न मिले तो घर-गृहस्थी कैसे चलेगी ? दशहरा पर्व पर भी वेतन के आसार नहीं दिखे।
जिला विद्यालय निरीक्षक की कुर्सी को लेकर विभागीय अधिकारियों के बीच चल रहे लुकाछिपी खेल का शिकार शिक्षक बने और बड़े-बड़े नेता तमाशबीन बने। लंबा समय नहीं बीता है जब विधान परिषद की शिक्षक कोटे के चुनाव में (एमएलसी) लखनऊ सीट से एक से बढ़कर एक दिग्गज उम्मीदवार बनकर शिक्षकों से वोट मांगने उनके घर- विद्यालय पहुंच रहे थे। शिक्षकों के हितों की लंबी-लंबी घोषणाएं और वादे कर रहे थे। भरी मीटिंग्स में कह रहे थे कि वे शिक्षक हितों के लिए जमीन-आसमान सब एक कर देंगे लेकिन शिक्षक ों के वेतन के लिए उनके दावे तो दूर वे खुद नहीं दिखे ?
यह पहला मौका नहीं है जब कथित शिक्षक नेताओं ने शिक्षकों को इस तरह से असहाय छोड़ा है। शिक्षकों के दुख दर्द को सुनना और दूर करने की बात तो दूर रही इन नेताओं ने एक ज्ञापन तक देना मुनासिब नहीं समझा। एक शिक्षक संगठन के नेता जी तो सेवारत के नाम पर राजनीति कर रहे हैं लेकिन वे सेवारत शिक्षकों के वेतन के लिए अपने विद्यालय से बाहर नहीं निकले। एक अन्य शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा।
माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के धरना-प्रदर्शन के बाद जब दबाव में आए शिक्षा विभाग ने वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू की और कई शिक्षकों के खाते में वेतन आना शुरू किया तो शिक्षक उन शिक्षक नेताओं को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं, जिन्होंने मदद की और उन्हें कोस रहे हैं जो अभी सिर्फ एमएलसी चुनाव में वोट मांगने के लिए उनके पास जी-हुजूरी करते हाथ जोड़ रहे थे।