- यह इंस्टालेशन कला महाविद्यालय के अजय यादव,राहुल शाक्या, प्रीति यादव,शिवानी विश्वकर्मा , आकांक्षा त्रिपाठी, अनुराग विश्वकर्मा, बबली सैनी, खुशी और शिखा यादव ने एक सामुहिक रूप में तैयार किया है। ये सभी कलाकार कला महाविद्यालय के छात्र हैं।
लखनऊ, 9 फरवरी . कला और कलाकार हमेशा इंसान को इंसान बनने के लिए समय समय पर प्रेरित किया है। समाज को मार्गदर्शन किया है। इस कड़ी में वृहस्पतिवार को लखनऊ में राज्य ललित कला अकादमी ( UP State Academy of Fine Arts ) के 62वें स्थापना दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय वेस्ट एंड स्क्रेब मैटेरियल से इंस्टालेशन आर्ट प्रतियोगिता के दौरान विभिन्न विषयों पर कलाकारों के इंस्टालेशन आर्ट को देखने और कलाकारों से बात करने का अवसर मिला। जिनमे से दो इंस्टालेशन के विषय ने प्रभावित किया जिसमें से एक का विषय था “प्रवास” जो यह बताने का प्रयास किया कि हम अपनी दैनिक जीवन शैली में अपने आस-पास के लोगों को देखते हैं कि कमाई की तलाश में अपने परिवार को छोड़कर अपने गृह नगर से अलग-अलग स्थानों की ओर पलायन करते हैं।
यहां हम इन घोंसलों को गृहनगर या छोड़ने की जगह के प्रतीक के रूप में जोड़ते हैं जिसे पक्षी भोजन की तलाश में छोड़ गया था। साथ ही हम यह भी महसूस करते हैं कि मानव ने भी काम की तलाश में शांतिपूर्ण जीवन छोड़ दिया था। पत्थर के स्लैब पर आंकड़े मानव की व्यस्त जीवन शैली को अपने परिवार के बोझ या जिम्मेदारी को लेकर दर्शाते हैं। घोंसले में अंडे यह भी दिखाते हैं कि वे कितने अकेले पीछे छूट गए हैं अपने प्रियजनों के प्रवास के कारण। यह इंस्टालेशन कला महाविद्यालय के अजय यादव,राहुल शाक्या, प्रीति यादव,शिवानी विश्वकर्मा ने सामुहिक रूप में बनाया है।
UP State Academy of Fine Arts news : वहीं एक और बहुत ख़ास प्रकार के इंस्टालेशन देखने को मिला जो यह बताने का प्रयास कर रहा था कि आज के दौर में जब हम औपनिवेशीकरण की ओर बढ़ रहे हैं तो किस कीमत पर हम अपनी प्रकृति और संस्कृति को पीछे छोड़ रहे उससे छेड़छाड़ कर रहे हैं? यह एक दुःखद स्थिति है। और मनुष्य के रूप में हम सभी देव प्राणियों पर हावी हो रहे हैं… ज़रा सोचिए कि हम क्या प्राप्त कर रहे हैं..। और आज हम इस छेड़छाड़ का नतीजा भी लगातार भुगत रहे हैं। इंसान भौतिकता, और उपभोक्ता वादी बनता जा रहा है इस प्रकार वह अपनी संवेदना, उदारता,करुणा सब खोता जा रहा है। सिर्फ एक हवस की खातिर समस्त मनुष्य जाति को गर्त की तरफ लेता जा रहा है। जबकि यह यथार्थ है कि अंत में सब कुछ मिट्टी में मिल जाएगा…। इस इंस्टालेशन को आकांक्षा त्रिपाठी, अनुराग विश्वकर्मा, बबली सैनी, खुशी और शिखा यादव ने एक सामुहिक रूप में तैयार किया है। ये सभी कलाकार कला महाविद्यालय के छात्र हैं।
ऐसे ही अनेकों कलाकारों ने अपने अपने विचारों को कला का रूप प्रदान किया है। जो बेहद खूबसूरत है साथ ही विचारणीय भी है जिसे नगर के लोगों को जरूर देखना चाहिए। और कलाकारों को इस प्रकार प्रोत्साहित भी कर सकते हैं।