- आज हड़ताल का तीसरा दिन है लेकिन शिक्षा विभाग से वार्ता के ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे
- शिक्षकों को लगातार मिल रहा समर्थन, प्रदेश के कई जिलों में पढ़ाई व्यवस्था पटरी से उतरी
रायपुर/ बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन कि 6 फरवरी से शुरू हुई हड़ताल लगातार व्यापक होती जा रही है । आज तीसरा दिन है । इस हड़ताल को प्रधान पाठकों के संगठन छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक कल्याण संघ ने भी अपना नैतिक समर्थन देकर सरकार से इनकी मांगों को पूरा करने का विनम्र आग्रह किया है।
इन्हीं मांगों को लेकर फेडरेशन के पदाधिकारियों ने हड़ताल शुरू होने से पहले शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लंबी वार्ता की और उन्हें अवगत कराया था कि उनकी वेतन विसंगति की मांग को जल्द से जल्द पूरा किया जाए । शिक्षक नेताओं ने अधिकारियों को यह भी अवगत कराया कि वह लंबे अरसे से इस मांग को लेकर ज्ञापन प्रदर्शन और अनुनय विनय करते रहें लेकिन अब तक सरकार की ओर से केवल और केवल आश्वासन मिले हैं, इसलिए अब मांग पूरी नहीं होती है तो 6 फरवरी से आंदोलन की शुरुआत करेंगे।
सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन न मिलने के बाद पदाधिकारियों ने अपने घोषित कार्यक्रम के अनुसार 6 फरवरी से हड़ताल शुरू कर दी है। पहले दिन से ही प्रदेश की प्राथमिक शालाओं की शिक्षण व्यवस्था पटरी से उतरने लगी है। सबसे अधिक असर बिलासपुर जिले में दिखाई पड़ रहा है । साथ ही रायगढ़, जशपुर, रायगढ़, कोरबा , जांजगीर, कांकेर, बेमेतरा सहित ज्यादातर जिलों में पहले से ही शिक्षकों की कमी है। ऐसे में हड़ताल ने पढ़ाई व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है । बड़ी बात है शिक्षकों की मांग को उचित बताने के लिए उनके साथ जुड़ रहे शिक्षक और मिल रहा समर्थन इस बात की पुष्टि करता है। सबसे बड़ी बात यह है कि शिक्षक अपने आंदोलन को संयमित और लोकतांत्रिक तरीके से संचालित कर रहा है। अधिक दिन आंदोलन चलता है तो निश्चित तौर पर विद्यार्थियों का अधिक नुकसान होगा।
फेडरेशन के पदाधिकारी पहले ही अपनी अपील में शिक्षकों का आवाहन कर चुके हैं कि वे अपनी मांग को पूरी करने के लिए तैयारी के साथ मैदान में डटे रहें। शिक्षक नेताओं का कहना है कि गेंद सरकार के पाले में है, लेकिन शिक्षक अब अपनी मांग को लेकर पीछे नहीं लौटने वाला नहीं है । अब देखना है कि यह आंदोलन किस करवट बैठता है ? अब आगे क्या आश्वासन के सहारे ही आंदोलन खत्म हो जाएगा ? या मांग पूरी करने तक जारी रहेगा लेकिन सच यह है कि बच्चों की पढ़ाई निश्चित तौर पर प्रभावित हो रही है इसलिए सरकार को आगे बढ़ते कदम उठाने की जरूरत है।