- जटायु प्रसंग को बड़े ही रोचक ढंग से संसार का बहुर बड़ा मर्म भक्तों की समझाया
- संसार का मनुष्य अपने पेट को भरने के लिए दूसरे जीव को मारकर के खाता है, वह पक्षी से भी गिरा है।
नैमिष। मिश्रिख क्षेत्र के अंतर्गत मरेली स्थित मार्कन्डेय मंदिर परिसर में आयोजित कथा में अंतिम दिन परम पूज्य सुरेशानंदजी सरस्वती जी महाराज ने जटायु प्रसंग रखा। महाराज जी ने कहा अगर हमें संसार में सेवा का भाव देखना सीखना है तो हमें जटायु से सीख लेनी चाहिए परहित सरिस धर्म नहिं भाई पर पीड़ा सम नहिं अधमाई जटायु ने माता सीता के प्राण बचाने के लिए रक्षा करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी क्योंकि वह मांसाहारी पक्षी आज का मनुष्य क्या है वह जटायु से भी गिरा है जटायु ने मांसाहारी होते हुए भी मां सीता के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। संसार का मनुष्य अपने पेट को भरने के लिए दूसरे जीव को मारकर के खाता है वह पक्षी से भी गिरा है।
महाराज जी ने कहा पहले हमारी परंपरा थी की घर की जो पहली रोटी होती थी उसे गाय को खिलाया जाता था अब वह रोटी घर की महिलाएं अपने पति को खिलाती हैं इसीलिए किसी की बुद्धि ठीक नहीं है और अंतिम रोटी कुत्ते को खिलाई जाती थी अब वह कुत्ते की रोटी घर की महिला खा रही है उसी का प्रभाव है दिन रात अपने सास पर चिल्लाती रहती है इसीलिए परिवार में शांति नहीं है कलह है इसीलिए अपने सनातन धर्म को पहचानो अपने धर्म से विचलित मत धर्म के विपरीत मत जाओ नहीं तुम्हें कोई सहारा देने भी नहीं आएगा जब हमारा धर्म मजबूत होता है सारे लोग हमारे साथ खड़े होते हैं हमारे धर्म में एक अलग तेज एक अलग विधा है।
महाराज जी ने महिलाओं से बताया जीवन में पति की सेवा में तत्पर रहो पति तुम्हारा भगवान है। पति तुम्हारा सब कुछ एक ही धर्म एक व्रत नेमा ताई वचन मन पति पद प्रेमा प्रात काल उठकर के पहले अपने सास-ससुर फिर पति के पैर छूने चाहिए जिससे हमारा वैवाहिक जीवन सदा सुंदर और अच्छा रहता। महाराज जी ने कहा अब जात पात मैं ना वट करके एक होने की जरूरत है। एक लकड़ी को तो आसानी से तोड़ा जा सकता है जब हमारे साथ जनसमूह बहुत सारे लोगों का होता है एक होते हैं तब कोई भी हम लोगों के धर्म पर उंगली नहीं उठा सकता उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकता हमारा धर्म अब सबसे प्रबल होगा सभी लोग एक सूत्र में जुड़ कर रहिए।
परम पूज्य सुरेशानंदजी सरस्वती जी महाराज जी के साथ व्यास पीठ पर सभी वैदिक आचार्यों का स्वागत किया गया यज्ञ धीश महाराज बाबा विजय नारायण दास जी महाराज यज्ञ आचार्य अनिरुद्ध मिश्रा, सह आचार्य मधुसूदन मिश्र, आचार्य विकास कुमार तिवारी , आचार्य अमित पांडे, मनीष द्विवेदी, पुष्कर शुक्ला, आशीष शुक्ला, और यजमान गण संदीप मिश्रा ,दीपू मनोज अवस्थी आशीष आदि यजमान भक्तगण मौजूद रहे।