- प्रशांत का धारा के विपरीत सोचना और रचना एक बड़ी आश्वस्ति : अवधेश मिश्र
- कला स्रोत आर्ट गैलरी में शुरू हुई प्रशांत चौधरी की पंच दिवसीय चित्र प्रदर्शनी
लखनऊ. कला स्रोत आर्ट गैलरी, अलीगंज, लखनऊ में आज युवा और ऊर्जावान कलाकार प्रशांत चौधरी के नवीनतम चित्रों की श्रृंखला दंश की प्रदर्शनी का आज उद्घाटन हुआ। प्रख्यात कलाकार एवं कला समीक्षक डॉ अवधेश मिश्र ने दीप प्रज्वलित कर प्रदर्शनी का उद्घाटन और कैटलॉग का विमोचन किया। मुख्य अतिथि ने कहा कि कंफर्ट जोन में रहकर तो सभी कुछ न कुछ कर रहे होते हैं पर धारा के विपरीत सोचना और रचना प्रशांत की रचनाशीलता की एक बहुत बड़ी आश्वस्ति है, जो इन्हें बहुत दूर ले जाएगी। आज देखा जाता है कि सीधे लाभ से जुड़े डेकोरेटिव और सेलेबल आर्ट को ही कला वीथिकाएं बहुत बढ़ावा दे रही है पर यह कला स्रोत गैलरी के निदेशक द्वय अनुराग डिडवानिया और मानसी डिडवानिया के सौंदर्य बोध और अकादमिक कला के प्रति समझ और समर्पण का परिणाम है कि वे प्रशांत चौधरी जैसे कलाकार को भी मंच देते हैं जो समाज और प्रकृति के उत्थान के लिए जोखिम उठाकर निरंतर रचनारत है।
असिस्टेंट प्रोफेसर हैं प्रशांत चौधरी
प्रशांत चौधरी लखनऊ के रहने वाले हैं जिनकी कला शिक्षा कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ और डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ में हुई है। वर्तमान में प्रशांत राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या से संबद्ध एक महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
उपस्थिति
प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर कला समीक्षक और शिक्षा शास्त्री डॉ लीना मिश्र, पायनियर मोंटसरी इंटरमीडिएट कॉलेज की प्राचार्य शर्मिला सिंह, युवा कलाकार अमित कुमार, हंसराज, लोकेश कुमार, सुमित कुमार, अनीता वर्मा, निधि चौबे, अभिषेक कुमार, अभिषेक पाल आदि लखनऊ महानगर के अनेक कला प्रेमी कला समीक्षक और वरिष्ठ कलाकार उपस्थित थे।
प्रदर्शनी के विषय
प्रशांत की नवीनतम चित्र श्रृंखला के चित्रों को देखें तो एक चित्र में जोंक के मुंह से एक लड़की निकल कर कंटीले डंडे पर चल रही है । आगे भी जोंक यानि समस्या बैठी उसकी राह देख रही है। यह आज की सच्चाई है। हम जिस तरह निश्चिन्त होकर बेटे को घर के बाहर भेज सकते हैं वैसे बेटी को नहीं। समाज कब बदलेगा? प्रशांत की चिंताएं यहीं ख़त्म नहीं होती हैं, वह लिंग भेद, वर्ग भेद, सामजिक और आर्थिक असमानता, तंत्र की असंवेदनशीलता, नैतिक अवमूल्यन, धन लोलुपता, अपनी संस्कृति और संस्कारों के प्रति उदासीनता को लेकर है जिसे वह बहुविधि चित्रित करते उपस्थित होते हैं। स्त्रियों का असम्मान, मांसाहार के प्रति बढ़ता आकर्षण, बच्चियों के जन्म के पूर्व हत्या, स्वच्छता के प्रति असंवेदनशीलता, घूसखोरी के कारण कार्यालय की फाइल्स का रुके रहना, छोटी बहनों को गोंद में लिए भीख मांगती बच्चियां, वरिष्ठ नागरिकों से अनुचित व्यवहार, बच्चों का समय खाते इलेक्ट्रॉनिक गजेट्स, बिखरता बचपन और बाल मजदूरी, चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुआ अभिजात्य, पहाड़ और समुद्र को भी कचरा युक्त बनाते जोंकरूपी मनुष्य, अपने अधिकारों के प्रति महिलाओं की असंवेदनशीलता, सर्कस वाली लड़की, कुकुरमुत्ते की तरह फैलते शोषक शिक्षण संस्थान, फास्टफूड की ओर बढ़ता बच्चों का आकर्षण, दादा-दादी से दूर होते नाती-पोते, अनाथ बच्चों की बजाय अभिजात्य वर्ग का कुत्तों के प्रति आकर्षण, कुर्सी की दौड़, स्मार्ट फोन के कारण दूर होती पुस्तकें, बढ़ती मंहगाई और अभावग्रस्त जीवन, सरोगेसी के दुष्परिणाम और अन्य सामाजिक विद्रूपताओं को विषय बनाकर सतत चित्रण करते हुए प्रशांत समाज की इस सच्चाई के प्रति लोगों का ध्यानाकर्षण कर रहे हैं।
अन्य कार्यक्रम
प्रशांत चौधरी की इस प्रदर्शनी के दौरान 10 अक्टूबर 2022 को शाम 5:00 बजे को प्रख्यात साहित्यकार आचार्य सूर्य प्रसाद दीक्षित द्वारा कलाकार की रचना प्रक्रिया और संवेदनाओं का प्रभाव विषय पर व्याख्यान होगा और कलाकार प्रशांत चौधरी द्वारा इस प्रदर्शनी के संबंध में दर्शकों के प्रश्नों का उत्तर दिया जायेगा।
इस प्रदर्शनी का समापन समारोह 12 अक्टूबर को शाम 5:00 बजे किया जाएगा जिसके मुख्य अतिथि प्रख्यात मृदभांड कलाकार एवं कला महाविद्यालय, लखनऊ के प्राचार्य प्रोफेसर रतन कुमार एवं विशिष्ट अतिथि प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर शोभा मिश्र होंगी।
प्रदर्शनी की अवधि
कला स्रोत गैलरी के निदेशक अनुराग डिडवानिया और मानसी डिडवानिया ने बताया कि यह प्रदर्शनी कल दिनांक 9 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक नित्य 12:00 बजे दोपहर से 7:00 बजे शाम तक कला प्रेमियों के अवलोकनार्थ एवम क्रय हेतु खुली रहेगी।