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स्मृति शेष : बच्चियों को अनुशासन और संस्कार सिखाने के लिए अभिभावक बालिका विद्यालय भेजते थे : मनमोहन तिवारी

खास-खास बातें

  • मूल्यपरक शिक्षा की प्रतिमूर्ति थीं सुश्री संतोष दत्त : डॉ लीना मिश्र
  • नहीं रहीं प्रख्यात शिक्षाविद सुश्री संतोष दत्त
  • 94 वर्ष में किडनी फेल होने से हुआ संतोष दत्त का निधन
सुश्री संतोष दत्त

लखनऊ. बालिका विद्यालय मोती नगर लखनऊ की संस्थापक प्रधानाचार्य और प्रख्यात समाजसेवी सुश्री संतोष दत्त का कल दिनांक 8 फरवरी 2022 को किडनी फेल होने के कारण आकस्मिक निधन हो गया। उनका जन्म 30 नवंबर 1927 को रावलपिंडी के छोटे से गांव में हुआ था। बहुत कम आयु में ही उनके पिता का साया सिर से उठ जाने के कारण कठिन परिश्रम कर अपने को योग्य और सक्षम बनाते हुए उन्होंने परिवार का पालन-पोषण किया। सुश्री दत्त ने इतिहास और हिंदी विषय मे परास्नातक और एमएड की उपाधि प्राप्त की थी।

1950 में बनी थीं प्रधानाचार्य

ज़मीनी स्तर पर काम करने तथा सामान्य से एक दर्ज़ा नीचे जीवन यापन करने वाले वर्ग को विकास की मुख्यधारा से जुड़ने हेतु सक्षम बनाने के उद्देश्य से उन्होंने 1950 में बालिका विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था। वह मूल्यपरक शिक्षा और अनुशासन की प्रतिमूर्ति थीं। अलंकरणों से अपने को दूर रखते हुए खादी वस्त्र पहनना, सादगीपूर्ण जीवन बिताना, आवश्यकता से अधिक धन-संग्रह न करना, अनाथों और ज़रूरतमंदों को दान और सहयोग करते रहना आदि मूल्यों पर आधारित जीवन जीना उन्हें पसंद था जिसका पूरे जीवन भर उन्होंने निर्वाह किया।

समाज को अपना परिवार माना, नहीं किया विवाह

इसीलिए पूरे समाज को अपना परिवार समझते हुए उन्होंने विवाह के बंधन से अपने को दूर रखा। पूरे कार्यकाल में बालिका विद्यालय की छात्राओं को सुशिक्षित और संस्कारित कर उन्होंने राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने का हर संभव प्रयास किया जिसके कारण लखनऊ नगर में बालिका विद्यालय को ख्याति मिली और इस विद्यालय में पढ़ना छात्राओं की ही नहीं अभिभावकों की भी पहली पसंद बन गई। बच्चियों को अनुशासन और संस्कार सिखाने के लिए अभिभावकगण बालिका विद्यालय भेजते थे। यहां से शिक्षित छात्राएं उच्च पदों पर सेवाएं देते हुए विद्यालय की गतिविधियों और विकास कार्यों से सदैव जुड़ी रहीं।

मिले राज्य व राष्ट्रीय पुरस्कार

समाज और शिक्षा जगत में सुश्री संतोष दत्त के अतुलनीय योगदान को देखते हुए उनको सन 1975 मे राज्य अध्यापक पुरस्कार और 1976 में राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार प्रदान किया गया था। उल्लेखनीय है कि पुरस्कार में प्राप्त धनराशि को उन्होंने विद्यालय के विकास कार्य में लगा दिया था। इस तरह 40 वर्ष उल्लेखनीय योगदान के उपरांत 1990 में अवकाश प्राप्त कर वह सामाजिक जीवन में बनीं रहीं और यथासम्भव ज़रूरतमंदों की मदद की।

निधन पर जताया दुख

निधन पर विद्यालय के प्रबंधक  मनमोहन तिवारी, प्रधानाचार्य डॉ लीना मिश्र, विद्यालय की अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य मालती गौड़, सुश्री सुधा शर्मा,  माया श्रीवास्तव, प्रवक्ता  सरला विरमानी,  माधुरी दवे, संगीता सरीन, सुषमा मिश्रा,  मंजू टंडन, विद्यालय की पूर्व शिक्षिकाएं, छात्राएं तथा समस्त बालिका परिवार शोक संतप्त है और उनके अवदान का ऋणी है। साथ ही नगर के अनेक शिक्षाविदों और समाजसेवियों ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को स्मरण कर उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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