खास-खास बातें
- संस्कृत की गोद से निकली हिंदी सर्वोत्कृष्ट भाषा
- कुछ भी लिखने और उच्चारण करने की क्षमता केवल हिंदी में
- बालिका विद्यालय में मना ऑनलाइन विश्व हिंदी दिवस
- पहला हिंदी दिवस सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में हुआ था
लखनऊ. हिंदी इसीलिए महत्वपूर्ण है कि केवल इसी भाषा में सामथ्र्य है कि कुछ भी लिख कर बिल्कुल वैसा ही उच्चारित किया जा सकता है। यह संस्कृत की गोद से निकली और व्यापार के माध्यम से पूरी दुनिया में पल बढ़ रही भाषा है। यूनिकोड लिपि के आविष्कार के बाद हिंदी भाषा की ख्याति और दायरा और भी बढ़ गया है। हिंदी जानने वाला कभी भूखा नहीं मर सकता।
ये बातें अपने विद्यालय यकी छात्राओं के बीच बालिका विद्यालय इंटरमीडिएट कॉलेज, मोती नगर, लखनऊ की प्रधानाचार्य डॉ लीना मिश्र ने कहीं। डॉ.मिश्रा के निर्देशन में सोमवार को विश्व हिंदी दिवस का ऑनलाइन आयोजन अपने विद्यालय में किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य विश्व में हिंदी का प्रचार प्रसार करना एवं पूरी दुनिया को इसके महत्व को समझाना तथा हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करना है। अन्य भाषाओं की तुलना में हिंदी अपने किन गुणों के कारण उत्कृष्ट है, यह बताते हुए डॉ.मिश्रा ने कहा कि पहला हिंदी दिवस सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थे। इसी दिन को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मान्यता प्रदान करते हुए इसके मनाने का प्रचलन शुरू हो गया।
आनलाइन प्रतियोगिता में ये रहीं विजेता
विद्यालय में इस अवसर पर कुछ ऑनलाइन प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिसमें पोस्टर प्रतियोगिता में कक्षा 10 की आराधना प्रथम, ऋषिता चंद्रा द्वितीय तथा कक्षा 12 की जाह्नवी तृतीय स्थान पर रहीं। निबंध प्रतियोगिता में कक्षा 12 की पारुल कनौजिया चयनित हुई। कविता लेखन में कक्षा 9 की मुस्कान गुप्ता तथा स्लोगन प्रतियोगिता में कक्षा 9 की शालिनी मौर्य प्रथम, अनन्या वर्मा द्वितीय तथा शिवांगी कुशवाहा तृतीय स्थान पर रहीं।