लखनऊ. अटल जी सभी राजनीतिक दलों का सम्मान पाते थे वसुधैव कुटुंबकम उनकी विचारधारा थी। संयुक्त राष्ट्र की महासभा में उन्होंने अपना भाषण पूर्णतया हिंदी में दिया जो कि संस्कृत युक्त भी था उनका अनुसरण करते हुए पहले सुषमा स्वराज फिर मोदी जी ने भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना भाषण हिंदी में दिया अटल बिहारी वाजपेई का प्रमुख लक्ष्य सेवा ही परमो धर्म था।
ये विचार उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के अध्यक्ष डॉक्टर वाचस्पति मिश्रा ने व्यक्त किए। डॉ.मिश्रा शनिवार को लखनऊ स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज लखनऊ एवं भाउराव देवरस सेवा न्यास लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जी की 98 जयंती के अवसर पर अटल जी द्वारा रचित कविताओं का सस्वर पाठ प्रतियोगिता को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतियोगिताएं बच्चों के लिए जोश व प्रोत्साहन का कार्य करती हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज लखनऊ की प्राचार्य प्रोफेसर अनुराधा तिवारी ने कहा ने कहा कि अटल जी अपनी दयालुता संवेदनशील व्यक्तित्व को धारण करने वाले सहृदय राजनेता थे। आज के दिन मदन मोहन मालवीय जी का जन्म दिवस भी है जो कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक थे जो व्यक्ति निरंतर प्रयास करते रहते हैं वह अपना रास्ता स्वयं खोज लेते हैं।
ये रहे प्रतियोगिता के परिणाम
पाठ प्रतियोगिता में कशिश को प्रथम, पिंकी को द्वितीय एवं नैंसी सोनी को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। पुरस्कार स्वरूप स्मृति चिन्ह प्रमाण पत्र व विभिन्न उपहार दिए गए। सात अन्य प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार व सभी भाग लेने वालों को प्रमाण पत्र दिया गया।
प्रोफेसर कर्ण ने बताया कि न्यास का उद्देश्य
कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर विजय कुमार कर्ण ने भाउराव देवरस के बारे में बताते हुए कहा कि मनुष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वह पहले मनुष्य बने भाउराव देवरस सेवा न्यास अपने अध्यक्ष रहे अटल बिहारी वाजपेई जी की स्मृति को नमन करने के लिए प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को अटल जी से युवा पीढ़ी को जोडऩे के लिए अटल जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचित कराने के लिए इस वर्ष अटल जी द्वारा रचित कविताओं का सस्वर पाठ प्रतियोगिता नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की गई है। प्रोफेसर करण ने कहा कि वही समाज अपने संस्कारों की लंबी अवधि तक बच पाता है जो अपने पुरखों तथा महापुरुषों को स्मरण करता है और उनके गुणों को अपने अंदर भरता है इसी उद्देश्य के लिए यह कार्यक्रम प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ रश्मि विश्नोई ने अतिथियों का परिचय करवाया काव्य पाठ के लिए निर्णायक भूमिका के रूप में बृजेश चंद्र पूर्व निदेशक उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ व महाविद्यालय की डॉक्टर ज्योति प्रवक्ता जंतु विज्ञान तथा डॉ मीनाक्षी शुक्ला प्रवक्ता हिंदी रहे।
कार्यक्रम में प्रमुख रुप से अतिथि के रुप में पूर्व निदेशक उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान बृजेश चंद्र, ओम प्रकाश वर्मा श्री रनजीव तिवारी एवं महाविद्यालय की ओर से डॉ भास्कर शर्मा, डॉ शिवानी श्रीवास्तव, डॉ शालिनी श्रीवास्तव डॉ विनीता लाल डॉक्टर सपना जयसवाल, डॉक्टर पारुल मिश्रा, डॉक्टर श्वेता भारद्वाज, डॉक्टर राहुल कुमार और डॉक्टर सारिका आदि उपस्थित रहे।