लखनऊ। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुरानी पेंशन की बहाली को नजरअंदाज करने पर अटेवा (ऑल टीचर इम्पलाइज वेलफेयर एसोशिएसन उप्र ) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पुरानी पेंशन बहाली मामले का हल न करने से लाखों शिक्षकों कर्मचारियों में भारी आक्रोश है, जिसका खामियाजा राज्य सरकार को आगामी विधान सभा चुनाव मे भुगतना पड़ेगा । अटेवा प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने वरिष्ठ शिक्षक कर्मचारी नेताओं से अपील की है कि बहुत लोगों के लिए बहुत कुछ मुद्दे होंगे, समस्याएं होंगी, लेकिन पेंशन के आंदोलन को, इस माहौल को किसी और तरफ न ले जाएं । सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन पर डटे रहें अन्यथा नई पीढ़ी माफ नहीं करेगी। भीड़ पेंशन बहाली के नाम पर काम कुछ और नही चलेगा। युवाओं को सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन चाहिए बाकी बाद में लड़ लेंगे। उन्होंने आगे कहा कि यदि पुरानी पेंशन के लिए ईमानदारी से सभी लोग लड़ना चाहते हैं तो एक कॉमन एजेंडा पुरानी पेंशन और एक कॉमन डेट तय करें,आप सभी मिलकर एक साथ कलम बंद हडताल की घोषणा करे। एक- एक नव जवान पूरी शिद्दत के साथ उसमे शामिल होगा, बस पेंशन के मुद्दे से इतर न जाये।
विजय बन्धु ने सरकारो को चेताया कि सत्ता मे बैठे लोग यह बात अच्छी तरह से समझ ले, पेंशन विहीनो के लिए एक मात्र मांग पुरानी पेंशन है केन्द्र और राज्य मे एक ही दल की सरकार है आपके लिए बेहतर अवसर है हां ! एक बात और स्मरण करा दे कि राज्य कर्मी के लिए राज्य व केन्द्र कर्मी के लिए केन्द्र सरकार पेंशन लागू कर सकती है इसे केन्द्र और राज्य के बीच न उलझाये यदि ऐसा संभव न होता तो पश्चिम बंगाल आज भी पुरानी पेंशन व्यवस्था देने वाला एक मात्र राज्य कैसे होता ?
यदि इसके बाद भी सरकार हीला हवाली करती है तो वह सरकार के लिए नुकसानदेह होगा। जो सरकार हमारी पुरानी पेंशन बहाल नही करेगी वो बाहर होने को भी तैयार रहे क्योकि आपके लिए जिस तरह से सत्ता सब कुछ है उसी तरह से उ० प्र० के 13 लाख सहित देश भर के 70 लाख पेंशन विहीनो के लिए पुरानी पेंशन सब कुछ है।
अटेवा के प्रदेश महामंत्री डा० नीरजपति त्रिपाठी व मीडिया प्रभारी डा० राजेश कुमार ने सभी शिक्षको,कर्मचारियो व अधिकारियो सहित खास कर युवा साथियो से निवेदन है कि इस बार सिर्फ सिर्फ मुद्दे पर डटे रहना क्योकि पुरानी पेंशन हमारे आपके लिए जीवन मरण का प्रश्न है। इसलिए यह एहसास कराना है की हम अपने बुढ़ापे की लाठी के लिए कितना संजीदा हैं कितना दृढ संकल्पित है। बस याद रखना बुढापे मे न पद, न विभाग न गुट न संघ, न नेता काम आयेगा यदि कोई सहारा होगा तो सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन। इसीलिए सब बातें पीछे छोड़कर सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन के लिए खुद लड़े है और अपने अपने संगठन और नेताओ से कहिए कि हमारी पुरानी पेंशन के अतिरिक्त कोई अन्य किसी बात पर समझौता न करे। तभी हम सभी अपने सम्मान व स्वाभिमान की लड़ाई जीत पाएंगे।