UP Teachers News : सहायता प्राप्त अशासकीय माध्यमिक विद्यालय में 25 वर्षों से सेवारत तदर्थ शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड बर्दाश्त नहीं करेगा पांडेय गुट -पटेल

संघ के प्रदेशीय अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार सिंह पटेल
  • समयबद्ध निस्तारित हों तदर्थ शिक्षकों के विनियमि तीकरणं के मामले – पांडेय गुट
  • जानबूझ कर लटकाए जा रहे प्रकरणों पर संगठन ने जताई गहरी नाराजगी – ओम प्रकाश त्रिपाठी
     

लखनऊ , 5 जनवरी, campussamachar.com,  सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट एवं शासन के जारी स्पष्ट आदेशों के बाद भी सक्षम अधिकारियों द्वारा जानबूझ कर तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरणं के मामले लटकाए जाने पर उ प्र माध्यमिक शिक्षक संघ पांडेय गुट ने अत्यंत ही गहरी नाराजगी जाहिर की है। साथ ही इस मामले की ओर शासन एवं सूबे की योगी आदित्यनाथ जी की सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए हस्तक्षेप करने की माँग की है।

संघ के प्रदेशीय अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार सिंह पटेल एवं वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने आज यहाँ जारी अपनी तीखी प्रतिक्रिया में कहा कि अधिकारियों द्वारा जानबूझ कर मामले लटकाए जा रहे है। उन्होंने कहा कि शीर्ष न्यायालय से शासन तक जारी अनेक स्पष्ट आदेशों के बाद भी वर्ष 2000 तक के ततसमय लागू नियुक्ति प्रक्रिया के अंतर्गत नियुक्ति पाकर आज तक कार्य कर रहे तदर्थ शिक्षको को रेगुलर कर उनके पिछले बीस महीने से अवरुद्ध वेतन भुगतान करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद भी कोई कार्य वाही न होने से संगठन ने गहरी चिंता व्यक्त की है . सक्षम अधिकारियों से लंबित प्रकरणों को शीघ्रति शीघ्र निस्तारित कर रुके हुए वेतन का भुगतान करने एवं बिना ब्यवधान उनसे कार्य लेते हुए उन्हें चयन बोर्ड अधिनियम की धारा 33- छ के अंतर्गत समय बद्ध विनियमित करने की प्रक्रिया पूरी कर शिक्षको के साथ हो रहे अन्याय एवं उत्पीड़न पर प्रभावी अंकुश लगाने की माँग की है।

जानिये कौन हैं तदर्थ शिक्षक

सभी तदर्थ शिक्षक वे शिक्षक हैं जो उक्त अवधि मे लागू कठिनाई निवारण अध्यादेश द्वितीय मे विहित प्रावधानों के अंतर्गत अथवा धारा, 18 के अंतर्गत नियुक्त किये गए हैं और अद्यतन सेवा में कार्य करते हुए छात्रों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। उनका विनियमितीकरणं 22 मार्च 2016 अधिनियम की धारा 33, छ के विहित नियमो के अंतर्गत हो ही जाना चाहिए। फिर भी आज तक शिक्षा अधिकारियों की मनमानी व स्वेच्छा चरिता का खामियाजा शिक्षको को भुगतना पड़ रहा है। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि नियुक्ति के लिए पच्चीस जनवरी 1999 तक कठिनाई निवारण अधिनियम एवं धारा 18 के अंतर्गत प्रबंध तंत्रों तीस दिसंबर, 2000 तक तदर्थ नियुक्ति का पूरा अधिकार रहा है जिसे चयन बोर्ड अधिनियम की धारा 33ड  अंतर्गत समाप्त कर दिया गया था। उपरोक्त सभी नियुक्तियाँ इस अवधि के पहले से हुई हैं   ।

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