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GGU news : भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातियों का योगदान महत्वपूर्ण- VC प्रो. चक्रवाल


सीयू में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती सप्ताह पर वेबिनार का आयोजन
बिलासपुर. गुरु घासीदास विश्वविद्यालय ( Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.)में 15 से 22 नवंबर तक स्वाधीनता आंदोलन के नायक भगवान बिरसा मुंडा की जयंती सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जनजातियों के स्वराज आंदोलनों को गौरव एवं सम्मान प्रदान करने की दृष्टि से भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाये का निर्णय लिया गया है।

Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.)  के मानव विज्ञान एवं जनजातीय विकास विभाग, एनडेनज्र्ड लैंग्वेज सेल तथा इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती सप्ताह के अंतर्गत 22 नवंबर को ऑनलाइन माध्यम से ”स्वतंत्रता संघर्ष के अनसुने जनजातीय नायक” विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार के मुख्य वक्ता शशांक शर्मा पूर्व निदेशक छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी रहे। अध्यक्षता Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.) के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की। वेबिनार के संयोजक प्रो. प्रवीण मिश्रा, विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ने अतिथियों का स्वागत एवं संचालन किया।

वेबिनार में Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.)  कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय से आने वाले नायकों ने अपने प्राणों की आहूति दी। भारत की आजादी के अमृत महोत्सव पर हमें सभी अनसुने जननायकों को स्मरण करते हुए इनके महान संघर्ष की गाथा को युवा पीढ़ी के साथ साझा करना होगा। इतिहास के पन्नों से गुम इन पराक्रमी नायकों के जीवन संघर्ष से देशवासियों को अवगत करना हमारा दायित्व है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.)  स्वाधीनता संग्राम के महान जनजातीय योद्धाओं की अनसुने वीर गाथाओं को संजोने का प्रयास करेगा। सभी विषयों के विशेषज्ञ, जानकार एक दूसरे से तथ्यों, घटनाओं एवं जानकारियों को साझा करेंगे ताकि इसका एक संग्रह किताब के रूप में उपलब्ध कराया जा सके।

अंग्रेजों की फूट डालो शासन करो नीति
वेेबिनार के मुख्य वक्ता शशांक शर्मा पूर्व निदेशक छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी ने कहा कि संपूर्ण भारतवर्ष के अनसुने जनजातीय नायकों के योगदान पर प्रकाश डालने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के जनजातीय आंदोलनों व स्वतंत्रता सेनानियों के विषय में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में जनजातीय योद्धाओं की अहम भूमिका को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। भगवान बिरसा मुंडा अल्प आयु में ही जनजातीय नेताओं के बड़े चेहरे के रूप में स्थापित हुए।

शर्मा ने कहा कि भारत में प्राचीनकाल से ही लोकतांत्रिकता व्यवस्था स्थापित थी लेकिन अंग्रेजों की फूट डालो शासन करो नीति और सश्सत्र संघर्ष ने इसे नुकसान पहुंचाया। स्वतंत्रता का आंदोलन राजनैतिक आंदोलन नहीं बल्कि सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक आंदोलन था। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की तमाम कोशिशों के बावजूद जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों पर सत्ता नहीं जम पाई।

इस अवसर पर Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.)  के कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त कि ए। धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ. सुबल दास, सहायक प्राध्यापक मानव विज्ञान तथा जनजातीय विकास विभाग ने किया। वेबिनार के सह-संयोजक डॉ. नीलकंठ पाणिग्रही सह-प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष मानव विज्ञान तथा जनजातीय विकास विभाग एवं संयुक्त सचिव बलराम उरांव, सहायक प्राध्यापक मानव विज्ञान एवं जनजातीय विकास विभाग रहे।  ऑनलाइन माध्यम से आयोजित वेबिनार में समस्त Guru Ghassidas Vishwavidayalaya Koni, Bilaspur, (C.G.) के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं शामिल हुए।

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