- इस अवसर पर छात्र छात्राओं के द्वारा गीता के विभिन्न श्लोक का उच्चारण सहित व्याख्या भी किया।अंत में शाला के प्रधान पाठक जयंत सिंह क्षत्रिय ने अतिथियों का धन्यवाद दिया .
जांजगीर चांपा, 16 दिसम्बर ,campussamachar.com, शासकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला अमोरा में गीता जयंती एवं अमृत परिवार पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे शाला परिवार के शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष तुरपाल सिंहजी की अध्यक्षता में आज छ ग सरकार के 1 वर्ष पूर्ण होने पर शासन के निर्देशानुसार विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन कराया जाना प्रस्तावित है जिसमें आज शाला में गीता जयंती पर संगोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित हुआ एवं अमृत परिवार पर चर्चा परिचर्चा किया गया जिसमे बिलासपुर के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी डॉ उल्हास वारे जी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं विवेकानंद केंद्र छत्तीसगढ़ मध्य प्रांत के श्री लक्ष्मी प्रसाद तिवारी जी की विशिष्ठ अतिथि थे।
सर्वप्रथम शाला के प्रधान पाठक जयंत सिंह क्षत्रिय ने समस्त सम्माननीय अतिथियों का स्वागत शाल एवं श्रीफल भेंटकर किया ।कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर पूजा अर्चना कर शाला के छात्र छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना किया गया तत्पश्चात अतिथियों के स्वागत के लिए स्वागत गीत कु आकांक्षा एवं कु सुहाना ने किया ।स्वागत गीत के पश्चात शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष तुरपाल सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रदेश भर में नई शिक्षा नीति एनईपी लागू किया है जिसके तहत प्रदेश भर के प्रत्येक प्राथमिक शालाओं के छात्र छात्राओं में गुणवत्ता स्थापित करना उनकी प्रथम दायित्व है तथा 2027 के अंत तक भाषाई एवं गणितीय कौशल की दक्षता हासिल करना उनका मिशन है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लक्ष्मीप्रसाद तिवारी ने बताया कि महाभारत काल में जब कौरव पांडव का युद्ध प्रारंभ होने वाला था तो गांडीवधारी महारथी अर्जुन के मन के संशय को दूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण ने गीता को निर्मित किया था जिसमे 700 श्लोक के साथ 24 अध्याय अध्याय को सुनाते हुए कहा कि मनुष्य मात्र एक प्राणी और शरीर हाड मांस का बना एक प्रकार का निर्जीव अवस्था है जो पांच प्रकार के तत्व से मिलकर बना है जो नश्वर है और आत्मा अमर है जिसको हमारा शरीर त्याग कर जगत में नए प्राणी का रूप धारण करता है।
विवेकानंद केंद्र छत्तीसगढ़ मध्य प्रांत के प्रभारी एवं पूर्व बिलासपुर डीईओ उल्हास वारे जी ने कहा कि विश्वभर में भारत में ही गीता जयंती मनाया जाता है और अमृत परिवार की अवधारणा को परिभाषित करते हुए छः भ के बारे में परिभाषित करते हुए भाषा,भूषा ,भोजन ,भजन ,भवन तथा भ्रमण को ध्यान में रखते हुए युवाओं के व्यक्तित्व विकास एवं चरित्र निर्माण करना तथा भारतीय संस्कृति की अवधारणा को इंगित करना एवं अपनाना अति आवश्यक है क्योंकि आज के इस परिवेश में वेद और पुराण के जरिए भारतीय सनातन एवं संस्कृति को बनाए रखना अति आवश्यक है।
इस अवसर पर छात्र छात्राओं के द्वारा गीता के विभिन्न श्लोक का उच्चारण सहित व्याख्या भी किया।अंत में शाला के प्रधान पाठक जयंत सिंह क्षत्रिय ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि वर्तमान में भारतीय सभ्यता और संस्कृति को पुनः जीवंत बनाने हेतु प्रदेश भर के शालाओं में सनातन धर्म की व्यवस्था को सुचारू रूप से पुनर्जीवित करने हेतु योग,स्वाध्याय एवं संस्कार के बारे में जानकारी दिया जाना आवश्यक है जिसको हमारे कोर्स में भी शामिल किया जाना है।
इस अवसर पर शाला के वरिष्ठ शिक्षक रजनीकांत धीवर, शैलेंद्र कुंभकार, श्रीमती रमा प्रधान, धनेश राम वर्मा, श्रवण भानू योगेंद्र राय तथा शाला प्रबंधन समिति के सदस्य , पालक गण तथा महिला स्व सहायता समूह के सदस्य एवं छात्र छात्राये उपस्थित थे।