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Bhaorao Devras Seva Nyas : साहित्य और साहित्यकार ही हमारी परम्परा को यशस्वी बनाते हैं – प्रो. प्रमोद कुमार वर्मा, कुलपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश

  •  लखनऊ में पं. प्रतापनारायण मिश्र स्मृति युवा साहित्यकार  सम्मान समारोह  का हुआ भव्य आयोजन .
  • कार्यक्रम अध्यक्ष, डॉ. अरुण कुमार झा सचिव, दिल्ली संस्कृत अकादमी ने कहा सनातन मूल्य एवं आदर्श से ओत-प्रोत व्यक्तित्व भाऊराव और प्रताप जी का है।
  • कार्यक्रम प्रो. विजय कर्ण ने समारोह में अतिथियों का परिचय कराया। आये हुए अतिथियों का रंजीव तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
  • कार्यक्रम का प्रारम्भ मंगलाचरण   अनुज चौबे, धनंजय पाण्डेय, शिवम अवस्थी ने किया। कार्यक्रम में सरस्वती वन्दना भाव नृत्य की प्रस्तुति सुश्री वैभवी मिश्रा ने की। शिवेन्द्र प्रताप द्वारा प्रस्तुत वंदेमातरम् से कार्यक्रम का समापन हुआ। 

लखनऊ , 16 दिसम्बर ,campussamachar.com,  जिस राष्ट्र के नागरिक और वहाँ का समाज यदि साहित्य और अपने साहित्यकार का सम्मान नहीं करता तो वह देश अपनी परम्परा को लम्बे समय तक जीवित रख नही पाता। ये साहित्य और साहित्यकार ही हमारी परम्परा को यशस्वी बनाते हैं। अतः इनका सम्मान हमारा कर्तव्य है। भाऊराव देवरस सेवा न्यास युवा साहित्यकारों को सम्मानित कर उसी राष्ट्रीय जिम्मेदारी को निभा रहा है।

उक्त बातें लखनऊ स्थित माधव सभागार सरस्वती कुंज, निराला नगर में भाऊराव देवरस सेवा न्यास ( Bhaorao Devras Seva Nyas )   द्वारा आज 16 दिसम्बर को आयोजित 30वें पं. प्रतापनारायण मिश्र स्मृति युवा साहित्यकार को सम्बोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. प्रमोद कुमार वर्मा, कुलपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश ने कहा। उन्होंने कहा की संस्था निरंतर 30 वर्षों से साहित्यिक कार्यक्रम करके इसका प्रमाण प्रस्तुत किया है।

सम्पूर्ण जीवन कर्मठता के प्रतिमूर्ति प्रतापनारायण मिश्र के समान अपना सब कुछ अर्पित करके देने वाले जैसे लोगों की आज महती आवयश्यकता है। तुममे मैं हूं और मुझमें तू है इसी उदात्त भावना से जीनेवाला ही सनातनी है और सनातन चिन्तन से ओत-प्रोत लिखा गया साहित्य कालजयी होता है। समाज के स्वच्छ पारदर्शी दर्पण को दिखाते रहने वाले साहित्यकार प्रासंगिक हैं। देश की आजादी में भी साहित्य की भूमिका प्रबल है। साहित्यकारों ने बड़ी संख्या में देशभक्ति को जगाने वाले साहित्य लिखा।
lucknow news  today :  प्रोफसर वर्मा ने कहा कि बाल साहित्य का पाठक कच्चा मन वाला होता है। उसके मन संस्कार में युक्त बातें हैं। साहित्य के माध्यम से ही दी जाती है।   उन्होंने कहा अपने अतीत के गौरव से भी परिचित कराने वाले साहित्य लिखने वाले साहित्यकार आदर के पात्र हैं। अतः उनका सम्मान करना  समाज के जागरूक लोगों का कर्तव्य है। नई पीढ़ी को अनुभव हो कि हमारा सामाजिक दर्शन सबको सुखी देखने की है। देश सबसे ऊपर है। परस्पर समन्वय से विचार का विस्तार होता है। अतः समन्वयक को बढ़ाने वाले साहित्य लिखने की जरूरत हैं साथ ही वनांचल की संस्कृति का भी परिचय कराने की आवश्यकता है।  पुनः यदि भारत को जगतगुरु बनना है तो भारतीय कला कौशल, शिल्प की शिक्षा भी देनी होगी। नई-नई तकनीकी विकसित करने के साथ प्राचीन तकनीक भी जाननी होगी।
 lucknow news :   सम्मान समारोह कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यक्रम अध्यक्ष, डॉ. अरुण कुमार झा सचिव, दिल्ली संस्कृत अकादमी ने कहा सनातन मूल्य एवं आदर्श से ओत-प्रोत व्यक्तित्व भाऊराव और प्रताप जी का है। उन्होंने हम सभी को जीवन भर प्रेरित किया और आज भी प्रेरित कर रहे हैं। इस परम्परा और मूल्यों के मूल में संस्कृत विद्या है। भारतीय ज्ञान परम्परा का रास्ता संस्कृत की ओर से ही जाता है क्योंकि संस्कृत भारतीयता का पर्याय है। भारत के स्वाभिमान की भाव भाषा संस्कृत है।
Bhaorao Devras Seva Nyas news today : सम्मान समारोह में से क्रमशः काव्य विधा में राघव शुक्ल, लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश, कथा-साहित्य विधा में   उज्ज्वल मल्हावनी, शिवपुरी, मध्य प्रदेश, पत्रकारिता विधा में रविशंकर उपाध्याय, पटना, बिहार, बाल-साहित्य विधा में श्रीमती संतोष ‘ऋचा’, मथुरा, उत्तर प्रदेश, संस्कृत में डॉ0 विश्व बन्धु, अगरतला, त्रिपुरा तथा तमिल भाषा में डॉ. मधुसूधनन कलैचेलवन, चेन्नई, तमिलनाडु  को  पुरस्कृत किया गया। पुरस्कार स्वरुप रुपये पच्चीस हजार ;25,000द्ध की धनराशि, अंग वस्त्र, व स्मृति चिन्ह तथा ‘पं0 प्रताप नारायण मिश्र रचित साहित्य प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के संयोजक प्रो0 विजय कर्ण ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि बताते हुए पं0 प्रतापनरायण मिश्र का जीवन परिचय और कार्य को रेखांकित किया कहा कि 40 वर्ष तक की आयु के साहित्यकारों के द्वारा अपनी रचनाओं से युवाओं में देशभक्ति, मातृ-पितृ भक्ति और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान और श्रद्धा भरी जाती है, उनका सम्मान न्यास द्वारा प्रतिवर्ष छः लोगों को सम्मानित कर किया जाता है। इस अवसर पर डॉ. कर्ण ने हिन्दी तथा संस्कृत एवं क्षेत्रीय भाषाओं तमिल भाषा को एक दूसरे का पूरक बताया। सम्मानित होने वाले सभी साहित्यकारों ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए एक स्वर में कहा कि हम लोग इस पुरस्कार को प्राप्त करने के बाद अब और भी राष्ट्रीय बोध जगाने वाले साहित्य लिखूंगा।
कार्यक्रम में आये हुए अतिथियों एवं सम्मानित होने वाले युवा साहित्यकारों का स्वागत वक्तव्य देते हुए इंजी. हिमांशु सोमवंशी जी ने कहा कि न्यास के सभी कार्यक्रम समाज के सहयोग से संचालित होते हैं। आप सभी उपस्थित जनों के सहयोग एवं आशीर्वाद से ही न्यास इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी कर सकेगा। आप लोगों के कृपापूर्ण सहयोग से हम सभी कार्यकर्ता गण भाऊराव जी के सपनों को साकार कर पायेंगे।
Bhaorao Devras Seva Nyas news :  कार्यक्रम प्रो. विजय कर्ण ने समारोह में अतिथियों का परिचय कराया। आये हुए अतिथियों का रंजीव तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ मंगलाचरण श्री अनुज चौबे, धनंजय पाण्डेय, शिवम अवस्थी ने किया। कार्यक्रम में सरस्वती वन्दना भाव नृत्य की प्रस्तुति सुश्री वैभवी मिश्रा ने की। शिवेन्द्र प्रताप द्वारा प्रस्तुत वंदेमातरम् से कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से बृजेशचन्द्र , रत्नेश कुमार, वीरेन्द्र यादव, आन्जनेय उपाध्याय, डॉ. भास्कर शर्मा, जयकृष्ण सिन्हा, ओम प्रकाश वर्मा, डॉ. बिपिन कुमार झा, रघुराज सिंह, आशुतोष प्रताप सिंह आदि उपस्थित थे।
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