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UP News : आजादी के अमृत महोत्सव का मतलब नए संकल्पों का अमृत : डॉ. रेखा त्रिपाठी

भारत माता की पूजा अर्चना करती डाक्टर त्रिपाठी

झांसी. 15 अगस्त 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। अमृत महोत्सव यानी नए संकल्पों का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव यानी आजादी की ऊर्जा का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव यानी स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव यानी नए विचारों का अमृत। नए संकल्पों का अमृत। आजादी का अमृत महोत्सव यानी आत्मनिर्भरता का अमृत। देश की 75 वीं वर्षगांठ का मतलब 75 साल पर विचार, 75 साल पर उपलब्धियां, 75 पर एक्शन और 75 पर संकल्प शामिल हैं, जो स्वतंत्र भारत के सपनों को साकार करने के लिए आगे बढऩे की प्रेरणा देंगे।

कुछ ऐसे ही सरल शब्दों में देश की आजादी के मायने से लेकर देश को सोने के चिडिय़ा बनाने तक के लिए सभी जरूरी कार्य करने की जरूरत बताई डॉ.रेखा त्रिपाठी ने। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के झांसी केंद्र की समन्वयक डॉ त्रिपाठी शिवाजी नगर झांसी में आयोजित एक कार्यक्रम को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रही थीं। कार्यक्रम में विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी, विवि-कॉलेज के शिक्षक-छात्र और शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का एक द्र्श्य

भारतमाता की पूजा-अर्चना के बाद शुरू हुए इस कार्यक्रम में डॉ.त्रिपाठी ने विस्तार से आजादी की लड़ाई से लेकर २१वीं सदी के भारत की सुंदर तस्वीर खींची। उन्होंने कहा कि आज भारत कोरोनो को एक तरह से हराकर फिर से आगे जा रहा है। देश आत्मनिर्भर हो रहा है। शायद इसीलिए दांडी मार्च की 91वीं वर्षगांठ पर शुरू किया अमृत महोत्सव। जैसे नमक भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक था। अंग्रेजों ने भारत के मूल्यों के साथ-साथ इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की। इसलिए वह आंदोलन जन-जन का आंदोलन बन गया था। इसलिए आज अमृत महोत्सव एक आवश्यक कार्यक्रम बना ताकि आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा हो सके और भारत के विकास से दुनिया के विकास को भी प्रोत्साहन मिले।

हमें स्वतंत्रता सेनानियों ने दी शानदार विरासत
आजादी का अमृत महोत्सव हमारी राष्ट्रीय यात्रा का एक और निर्णायक क्षण है, उत्सव का क्षण है। अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा हमें दी गई शानदार विरासत को याद करने का क्षण है। यह एक नए भारत की दिशा में अधिक गति के साथ अगला कदम उठाने का क्षण है, जिसे हम सभी चाहते हैं- एक ऐसा देश जहां प्रत्येक व्यक्ति और समुदाय पूरी तरह से सशक्त हो और जहां सभी अपनी पूरी क्षमता का एहसास कर सकें।

जाति-धर्म से ऊपर उठना होगा
हमें राष्ट्र की समृद्धि और एकता सुनिश्चित करने के लिए जाति, रंग, क्षेत्र और भाषा के विभाजन से ऊपर उठना होगा और इस लक्ष्य को हासिल करने में युवाओं की अहम भूमिका होगी। आजादी का अमृत महोत्सव भारत के लोगों को समर्पित है, जिन्होंने न केवल भारत को अपनी विकासवादी यात्रा में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि उनके भीतर आत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित और सक्रिय करने के दृष्टिकोण को सक्षम करने की शक्ति और क्षमता भी मिले।

तिलक लगा कर डाक्टर त्रिपाठी का स्वागत करते आयोजकगण

कोविड-19 से आजादी पाने की लड़ाई सराहनीय
2019 में कोविड-19 के रुप में देश ने एक एसी महामारी का सामना किया जिसने पूरे विश्व के दांत खट्टे कर दिये लेकिन भारत और भारतीयों ने कोविड-19 का सामना डटकर किया। जिस तरह से देश ने कोविड-19 से आजादी पाने के लिये एकजुट होकर लड़ा वो सराहनीय है।

युवाओं को बताएं आजादी के नायकों का जीवन
अमृता महोत्सव वास्तव में भारत की कड़ी मेहनत से अर्जित स्वतंत्रता का एक उपयुक्त उत्सव है और स्वतंत्रता के बाद से देश की घटनापूर्ण यात्रा का मानचित्रण करने का एक अनूठा तरीका है। अमृत महोत्सव के दौरान, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की असाधारण भावना, उनके सर्वोच्च बलिदान और उनके उदात्त आदर्शों को याद करना और उनका जश्न मनाना हमारा कर्तव्य है। हमें अपने युवाओं को अपने महान नायकों के जीवन के बारे में शिक्षित करना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि कैसे हमारे महान राष्ट्र के हजारों साहसी लोगों ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए क्या खोया और देश को क्या दिया है। हमारा यह कर्तव्य होता है कि हमें किसी भी राजनैतिक, सांस्कृतिक और किसी भी अन्य प्रकार की पराधीनता को अपनाना नहीं चाहिए।

प्रत्येक राष्ट्र के लिए स्वाधीनता का बहुत महत्व
हर राष्ट्र के लिए स्वाधीनता का बहुत महत्व होता है। कोई भी राष्ट्र तभी उन्नति कर सकता जब वह स्वतंत्र हो। जो देश या जाति स्वाधीनता का मूल्य नहीं समझते हैं और स्वाधीनता को हटाने के लिए प्रयत्न नहीं करते वे किसी-न-किसी दिन पराधीन जरुर हो जाते हैं और उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। स्वाधीनता को पाने के लिए क़ुरबानी देनी पडती है।

आयोजन समिति के सदस्यों व अतिथियों के साथ डाक्टर त्रिपाठी

 

हम सब मिलकर चलें परम वैभव की ओर

डॉ.रेखा त्रिपाठी ने भाषण के समापन में बहुत की महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता का महत्व राष्ट्र में तभी होता है जब पराधीनता प्रकट नहीं होती है। इसकी वजह से हम केवल व्यक्तिगत रूप से पिछड़ गए हैं और सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी हमारे देश का पतन हो रहा है। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम भारत के लोग मिलकर हटकर देश को सोने की चिडिय़ा बनाने के मार्ग पर लेकर चले।

ये विचार डॉ. त्रिपाठी ने मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के झांसी केंद्र की समन्वयक डॉ त्रिपाठी शिवाजी नगर झांसी में आयोजित एक कार्यक्रम को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रही थीं। कार्यक्रम में विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी, विवि-कॉलेज के शिक्षक-छात्र और शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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