- खास-खास बातें
- कानून वापस लेने की प्रक्रिया इसी माह शुरू हो रहे संसद सत्र से होगी
- यह देखना होगा कि किसान नेताओं का अगले कदम क्या होगा ?
- टिकैत ने कहा कि किसान नेता पीएम की घोषणा पर मंथन कर रहे
दिल्ली. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister of India Mr Narendra Modi ) ने शुक्रवार को अपने राष्ट्र के संबोधन में तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की है। इन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले एक साल से आंदोलित हैं और दिल्ली के सभी बार्डर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे । पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि ये सभी तीनों कानून अच्छे विचारों से लाए गए थे। उन्होंने उन किसानों व किसान संगठनों का धन्यवाद ज्ञापित किया, जिन्होंने इन कृषि कानूनों का समर्थन किया।
आज शुक्रवार को प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं देते हुए Prime Minister of India Mr Narendra Modi ने अपने राष्ट्र के संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। पीएम मोदी का यह संबोधन सुबह ९ बजे से शुरू हुआ। उनका पूरा संबोधन गुरु नानक जयंती के उपदेशों और किसानों के हित में केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं पर ही केंद्रित रहा। उन्होंने कृषि और किसानां के लिए लागू की गई विभिन्न योजनाओं का विस्तार से जिक्र किया ओर कहा कि पहले के मुकाबले देश का कृषि बजट पांच गुना अधिक बढ़ाया गया।
Prime Minister of India Mr Narendra Modi ने किसानों से अब घर लौट जाने की अपील करते हुए कहा कि किसान अब खेती में जुट जायं।Prime Minister of India Mr Narendra Modi की इस घोषणा के बाद अब इन कानूनों को वापस लेने के लिए अगले संसद सत्र में औपचारिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
एक साल पहले बने थे कानून
लोकसभा में तीनों कृषि कानून १७ सितंबर २०२० को मंजूर किए गए थे। राष्ट्रपति ने इन कानूनों पर २७ सितंबर को हस्ताक्षर कर इन्हें लागू करने का रास्ता साफ किया था। इन कानून बनने के बाद से ही भारतीय किसान यूनियन से जुड़े विभिन्न किसान संगठनों ने आंदोलन शुरू किया था। इसमें प्रत्यक्ष रूप से कई राजनीतिक दलों की भूमिका थी और वे खुलकर मोदी सरकार पर प्रहार कर रहे थे।
बंगाल और हिमाचल की हार तो वजह नहीं
किसान आंदोलन ही भाजपा के विरोध में सबसे आगे रहा। इसमें विपक्षी दल भी पीछे छूट गए लेकिन किसान नेता पश्चिम बंगाल से लेकर हिमाचल प्रदेश तक भाजपा को हराने में जुटे रहे। इसका परिणाम किसानों के लिए अच्छा तो भाजपा के लिए नुकसान देह। अब किसान नेताओं ने यूपी में भी आंदोलन तेज करने का ऐलान किया था। अगले साल यूपी में चुनाव है। ऐसे में संभव है कि भाजपा ने कृषि कानूनों को वापसी का दांव चलकर बढ़त लेने की कोशिश की हो लेकिन अब पीएम मोदी की इस नई घोषणा के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि किसान नेताओं का अगले कदम क्या होगा ?
टिकैत की प्रतिक्रिया
इस किसान आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं में से एक भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि पीएम की घोषणा पर संयुक्त मोर्चा बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा कृषि कानून वापस लिए गए हैं लेकिन अभी एमएसपी, बिजली अमेंडमेंट सहित कुछ और मुद्दे हैं।
किसान आंदोलन में जश्न
दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलित किसानों को जैसे ही कृषि कानून वापस लेने का पता चला कि सभी झूम उठे। वे एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मना रहे हैं। कुछ ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया में साझा हो रही है, जिसमें किसान जलेबी खाकर नाच रहे हैं।
राहुल गांधी ने दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा कि सत्याग्रह ने एरोंगेसी को हरा दिया है। वहीं पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने कृषि कानून वापस लेने को सही दिशा में उठाया एक कदम बताया। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक सफलता करार दिया।