प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन
उन किसानों व किसान संगठनों का धन्यवाद ज्ञापित किया, जिन्होंने इन कृषि कानूनों का समर्थन किया।
कहा कि पहले के मुकाबले देश का कृषि बजट पांच गुना अधिक बढ़ाया गया।
दिल्ली. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने राष्ट्र के संबोधन में तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की है। इन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले एक साल से आंदोललित हैं और दिल्ली के सभी बार्डर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं । पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि ये सभी तीनों कानून अच्छे विचारों से लाए गए थे लेकिन किसानों को सही तरीके से इन कानूनों के बारे में नहीं समझा जा सके। उन्होंने उन किसानों व किसान संगठनों का धन्यवाद ज्ञापित किया, जिन्होंने इन कृषि कानूनों का समर्थन किया।
आज शुक्रवार को प्रकाश पर्व की श्ुाभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राष्ट्र के संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। पीएम मोदी का यह संबोधन सुबह ९ बजे से शुरू हुआ। उनका पूरा संबोधन गुरु नानक जयंती के उपदेशों और किसानों के हित में केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं पर ही रहा। उन्होंने कृषि और किसानां के लिए लागू की गई विभिन्न योजनाओं का विस्तार से जिक्र किया ओर कहा कि पहले के मुकाबले देश का कृषि बजट पांच गुना अधिक बढ़ाया गया।
उन्होंने कहा कि किसानों को इन कानूनों को समझाने के लिए हर संभव प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुए। केंद्र सरकार इन कानूनों में किसानों के मुताबिक संशोधन के लिए भी तैयार थी लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। पीएम मोदी ने किसानों से अब घर लौट जाने की अपील करते हुए कहा कि किसान अब खेती में जुट जायं। पीएम मोदी की इस घोषणा के बाद अब इन कानूनों को वापस लेने के लिए अगले संसद सत्र में औपचारिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
पीएम मोदी की इस घोषणा को उन विपक्षी नेताओं पर करारा हमला माना जा रहा है, जो मोदी सरकार को किसान विरोध बताते हुए लंबे समय से मोदी सरकार पर तरह-तरह से हमला कर रहे थे और अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा हराओ का नारा दे रहे थे। अब कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा से भाजपा ने विपक्षी दलों से एक बड़ा हथियार छीन लिया है और अब उनके पास फिलहाल मोदी सरकार पर हमला करने का कोई मजबूत हथियार नहीं बचा है। हालांकि विपक्षी नेताओं की प्रतिकिया आनी बाकी है ।
१७ सितंबर २०२० में स्वीकृत हुए थे कानून
लोकसभा में तीनों कृषि कानून १७ सितंबर २०२० को मंजूर किए गए थे। राष्ट्रपति ने इन कानूनों पर २७ सितंबर को हस्ताक्षर कर इन्हें लागू करने का रास्ता साफ किया था। इन कानून बनने के बाद से ही भारतीय किसान यूनियन से जुड़े विभिन्न किसान संगठनों ने आंदोलन शुरू किया था। इसमें प्रत्यक्ष रूप से कई राजनीतिक दलों की भूमिका थी और वे खुलकर मोदी सरकार पर प्रहार कर रहे थे।
टिकैत की प्रतिक्रिया
इस किसान आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं में से एक भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि पीएम की घोषणा पर संयुक्त मोर्चा बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के मुद्दे पर जल्द फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि कानून वापस लिए गए हैं लेकिन अभी एमएसपी, बिजली अमेंडमेंट सहित कुछ और मुद्दे हैं।