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Gopashtami 2024 : भगवान कृष्ण की इस लीला से जुड़ा है गोपाष्टमी का पर्व …संस्कारों से नाता हैं, गाय हमारी माता है

  • आज शुभमविहार में श्रीमती निशा ललित अग्रवाल, श्रीमती मोनिका निलेश अग्रवाल व श्रीमती हनी मयंक अग्रवाल द्वारा गोपाष्टमी के पावन अवसर पर मोहल्ले में निर्बाध विचरण करते गौवंश का पूजन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण के ‘पौगंण्ड-अवस्था’ अर्थात छठे वर्ष में प्रवेश की घटना को याद किया गया।

बिलासपुर , 9 नवम्बर , campussamachar.com,  भारतीय संस्कार व संस्कृति में सहअस्तित्व के साथ प्रकृति व प्राणियों को भी पूजनीय माना जाता हैं। इसी क्रम में आज शुभमविहार में श्रीमती निशा ललित अग्रवाल, श्रीमती मोनिका निलेश अग्रवाल व श्रीमती हनी मयंक अग्रवाल द्वारा गोपाष्टमी के पावन अवसर पर मोहल्ले में निर्बाध विचरण करते गौवंश का पूजन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण के ‘पौगंण्ड-अवस्था’ अर्थात छठे वर्ष में प्रवेश की घटना को याद किया गया।

एक दिन भगवान मैया से बोले – ‘मैया…अब हम ब ड़े हो गये है।  मैया ने कहा- अच्छा लाला… तुम बड़े हो गये तो बताओ क्या करें !  भगवान बोले – मैया अब हम बछड़े नहीं चराएँगे , अब हम गाये चराएँगे ।  मैया ने कहा – ठीक है , बाबा से पूछ लेना…  झट से भगवान बाबा से पूछने गये…
बाबा ने कहा – लाला , तुम अभी बहुत छोटे हो , अभी बछड़े ही चराओ ।  भगवान बोले- बाबा मैं तो गाये ही चराऊँगा।  जब लाला नहीं माने तो बाबा ने कहा – ठीक है लाला , जाओ पंडित जी को बुला लाओ , वे गौ-चारण का मुहूर्त देखकर बता देंगे ।

Gopashtami 2024 news : भगवान झट से पंडितजी के पास गए और बोले – पंडितजी , बाबा ने बुलाया है ,  गौचारण का मुहूर्त देखना है । आप आज ही का मुहूर्त निकाल  दीजियेगा । यदि आप ऐसा करोगे तो मै आप को बहुत सारा माखन दूँगा ।  पंडितजी घर आ गए पंचाग खोलकर बार-बार अंगुलियों पर गिनते…  बाबा ने पूछा – पंडित जी क्या बात है ? आप बार-बार क्या गिन रहे हैं ?  पंडित जी ने कहा – क्या बताये , नंदबाबाजी , केवल आज ही का मुहूर्त निकल रहा है इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई मुहूर्त है ही नहीं।  बाबा ने गौ चारण की स्वीकृति दे दी ।  भगवान जिस समय, जो काम करे, वही मुहूर्त बन जाता है उसी दिन भगवान ने गौचारण शुरू किया ।  वह शुभ दिन कार्तिक-माह का “गोपा-अष्टमी” का दिन था।  माता यशोदा जी ने लाला का श्रृंगार कर दिया और जैसे ही पैरों में जूतियाँ पहनाने लगी तो बाल कृष्ण ने मना कर  दिया और कहने लगे – मैया ! यदि मेरी गौ जुते नहीं पहनती तो मै कैसे पहन सकता हूँ !  यदि पहना सकती हो तो सारी गैयों को जूतियाँ पहना दो , फिर मैं भी पहन लूंगा ।  और भगवान जब तक वृंदावन में रहे कभी पैरों में जूतियाँ नहीं पहनी ।

Gopashtami today : अब भगवान अपने सखाओं के साथ गौए चराते हुए वृन्दावन में जाते और अपने चरणों से वृन्दावन को अत्यंत पावन करते।  यह वन गौओ के लिए हरी-हरी घास से युक्त एवं रंग- बिरंगे  पुष्पों की खान हो रहा था , आगे-आगे गौएँ उनके पीछे-पीछे बाँसुरी बजाते हुए श्यामसुन्दर तदन्तर बलराम और फिर श्रीकृष्ण के यश का गान करते हुए ग्वालबाल ।  इस प्रकार विहार करने के लिए उन्होंने उस वन में प्रवेश किया। और तब से गौ चारण लीला करने लगे। भगवान श्रीकृष्ण का “गोविन्द” नाम भी गायों की रक्षा करने के कारण पड़ा था क्योंकि भगवान कृष्ण ने गायों तथा ग्वालों की रक्षा के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर रखा था।

आठवें दिन इन्द्र अपना अहं त्याग कर भगवान कृष्ण की शरण में आया था।  उसके बाद कामधेनु ने भगवान कृष्ण का अभिषेक किया । और इंद्र ने भगवान को गोविंद कहकर संबोधित किया ।  और उसी दिन से इन्हें गोविन्द के नाम से पुकारा जाने लगा। इसी दिन से अष्टमी के दिन गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा ।  गौ ही सबकी माता है ,भगवान भी गौ की पूजा करते हैं , सारे देवी-देवों का वास गौ में होता है ।  जो गौ की सेवा करता है गौ उसकी सारी इच्छाएँ पूरी कर देती है।

Gopashtami news  : तीर्थों में स्नान-दान करने से , ब्राह्मणों को भोजन कराने से , व्रत-उपवास और जप-तप और हवन-यज्ञ करने से , जो पुण्य मिलता है , वही पुण्य गौ गौमाता को खिलाने से प्राप्त हो जाता है।  इसी भावना से प्रेरित होकर किसी घर विशेष या गौशाला में पोषित गौवंश से इतर निर्बाध घूमने वाली गायों का पूजन कर गुड़, चना, रोटी, चावल, लड्डू व फरसाण का भोग अर्पित करते हुए पूजन कर गोपाष्टमी के दिन गोपाल को याद किया गया।

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