- यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 1980 – 81 में लगभग एक लाख 11 हजार शिक्षक नियुक्त थे और वेतन आहरित कर रहे थे , आज मात्र 72 से 73000 शिक्षक – शिक्षिकाएं ही वेतन वितरण अधिनियम के तहत वेतन प्राप्त कर रहे हैं।
लखनऊ, 10 जून campussamachar.com, । माध्यमिक शिक्षक संघ (पाण्डेय गुट) ने उत्तर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की समायोजन प्रक्रिया का कड़ा विरोध किया है । पाण्डेय गुट ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप कर माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे समायोजन को रोकने की मांग की है । संगठन का कहना है कि सहायता प्राप्त माध्यमिक शिक्षण संस्थानों में अपनी कमी पर पर्दा डालने के लिए विभाग द्वारा शिक्षक – शिक्षिकाओं का समायोजन किया जा रहा है ।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट ) के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने समायोजन प्रक्रिया पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग लगातार शिक्षा व शिक्षक विरोधी फैसले लेकर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग में एक स्थिरता एवं अनिश्चित का वातावरण पैदा कर रहा है। त्रिपाठी ने कहा कि संपूर्ण प्रदेश में अपनी सेवा सुरक्षा को लेकर शिक्षक- शिक्षिकाएं डरे हुए हैं । शैक्षिक वातावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। शिक्षक नेता त्रिपाठी ने समायोजन को इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 में विहित प्रावधानों के सर्वथा विपरीत बताया है । उन्होंने कहा कि शासन द्वारा जारी समायोजन प्रक्रिया संबंधी शासनादेश में विगत 48 वर्षों पूर्व वर्ष 1976 के शिक्षक छात्र अनुपात के मुताबिक मानक के मानदंडों को अपनाया गया है, तब ना तो विज्ञान विषय अनिवार्य था ना ही सामाजिक विषय और ना ही हाई स्कूल से इंटर तक की कक्षा में शारीरिक एवं नैतिक शिक्षा विषयों के अध्ययन एवं अध्यापन का प्रावधान था । तब छठी में आठवीं तक की शिक्षा व्यवस्था हेतु सीटी संवर्ग के शिक्षक अलग से विषय वार नियुक्त होते थे।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 1980 – 81 में लगभग एक लाख 11 हजार शिक्षक नियुक्त थे और वेतन आहरित कर रहे थे , आज मात्र 72 से 73000 शिक्षक – शिक्षिकाएं ही वेतन वितरण अधिनियम के तहत वेतन प्राप्त कर रहे हैं। लगभग 40000 से अधिक टीजीटी – पीजीटी के संवर्ग के पद रिक्त हैं । शिक्षक नेता ने इस गैर कानूनी तरीके से समायोजन की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए तत्काल रोक लगाने की मांग की है।