नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत के विजयादशमी पर्व पर संघ मुख्यालय नागपुर में होने वाले दशहरा भाषण पर देश-दुनिया की नजर रहती है। स्वयंसेवकों को भी इस भाषण का इंतजार इसलिए रहता है कि यहीं से आगामी वर्षों की रणनीति व मुद्दों की समझ विकसित होती है,संदेश मिलते हैं। यह दिवस संघ का स्थापना दिवस भी है ।
शुक्रवार को नागपुर के आयोजित विजयादशमी समारोह में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कई बिंदुओं पर संघ के विचार प्रकट किए हैं। विजयादशमी पर्व संघ का स्थापना दिवस भी है, इसलिए इस दिन होने वाले भाषण का विशेष महत्व है। इनमें देश की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करना, हिंदू समाज के संगठन, कश्मीर में आतंकवाद, देश के विभाजन का दंश, कोरोना महामारी, नशीली पदार्थों का व्यापार और सीमापार से होने वाली घुसपैठ जैसे बिंदु सबसे अहम हैं।
उन्होंने जनसंख्या नीति की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इस देश में उत्पन्न धर्म के अनुयायियों की जनसंख्या वृद्धि दर कम हुई है जबकि अन्य की वृद्धि हुई है। उन्होंने आंकड़े भी बताए कि किस तरह से जनसंख्या वृद्धि देश के संसाधनों पर भारी पड़ रही है इसलिए इस पर विचार की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि एनआरसी के माध्यम से घुसपैठियों की पहचान की जाय।
ओटीटी (ओवर द टॉप) पर उन्होंने कहा कि यह ऐसा प्लेटफार्म है, जिस पर दिखाई जाने वाली भाषा पर अब तक कोई नियंत्रण नहीं है, इसलिए नीति बनाकर इसे व्यवस्थित करना चाहिए।
धारा 370 पर यह कहा
डॉ.मोहन भागवत ने अपने भाषण में कहा कि हिंदू समाज को संगठित होने की जरूरत है। उन्होंने संकेत किया कि हिंदू एकता को तोडऩे के लिए तरह-तरहक े प्रयास किए जा रहे हैं। इसलिए सामाजिक समरसता के कार्यक्रम को अधिक प्रभावी से करने पर जोर दिया। राजनीतिक विरोधियों के लिए उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ एक सामाजिक व सांस्कृतिक संगठन है। डॉ.भागवत ने कहा कि धारा 370 के हटने के अच्छे परिणाम दिखने लगे हैं। उन्होंने कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा की जा रही हत्याओं को भी साजिश करार दिया।
डॉ.मोहन भागवत का भाषण पूरा होते-होते देश-दुनिया से इन बिंदुओं पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी आने लगीं। संघ की विचारधारा के विपरीत प्रवाहित संगठनों व उनके नेताओं ने जनसंख्या नीति पर घेरना शुरू कर दिया जबकि ओटीटी प्लेटफार्म पर नियामक की बात को अभिव्यक्ति की आजादी बता दी।
4 साल बाद पूरे होंगे संघ के 100 साल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना विजयादशमी के दिन वर्ष 1925 में डॉ.केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी। चंद स्वयंसेवकों के साथ प्रारंभ किए गए इस संगठन की क्षमता लगातार बढ़ती जा रही है। इसके सहयोगी संगठनों की संख्या भी अधिक है और राजनीतिक क्षेत्र छोड़कर अन्य सभी संगठनों की प्रभावी उपस्थिति रखते हैं।