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इक लख पूत सवा लख नाती। तिहि रावन घर दिया न बाती … अहं को चकनाचूर करने वाले इस महान पर्व विजयादशमी के आदर्शों के साथ चलें

सत्य,दया,क्षमा,करुणा,त्याग,संतोष,शांति,न्याय,मर्यादा,व्यवस्था, संस्कार,संस्कृति के विजय का युगों युगों से शंखनाद करता हुआ,पुरुषार्थ और परमार्थ का सम्यक स्वरुप,बल,बुद्धि,विद्या,शील,सामर्थ्य,शक्ति की उपासना,धर्म की रक्षा एवं स्थापना,दुष्ट शक्तियों,कृतियों एवं दुष्टजनों के विनाश एवं सज्जन,साधु,संत तथा प्राणीमात्र के कल्याणार्थ बल,विद्या,बुद्धि, शक्ति,सामर्थ्य,पुरुषार्थ का धर्म सम्मत संकल्पबद्ध प्रयोग एवं प्रदर्शन करने के पावन पर्व श्रीविजयादशमी की अनन्त शुभकामनायें।

सर्वभूत हृदय,अखिल ब्रह्मांडेश्वर मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र भगवान जैसी परमविभूति प्रत्येक हिन्दू के चरित्र में अंशतः व्याप्त हो जिससे अपने गौरव, विरासत,थाती,परम्परा,शास्त्र,समाज,संस्कृति की सदा,सर्वदा,सर्वत्र,सर्वरूप से रक्षाकरने व परमोत्थान में सर्वसमर्थ हों।
सर्वत्र सनातन संस्कृति की धाक हो,भारत राष्ट्र अखण्ड हो,भारत माता विश्ववन्द्य हों,भारत की जय जयकार हो।
जय श्रीराम
जय श्रीसीताराम
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।

इक लख पूत सवा लख नाती।
तिहि रावन धर दिआ न बाती॥

✍️ हिंदुस्तान में विजयादशमी/दशहरे के दिन, बुराई, असुरता और अधर्म के प्रतीक रावण के पुतले को जलाया जाता है ।
✍️ रावण ने ब्राह्मण कुल में जन्म लिया था लेकिन उसके कर्म ब्राह्मणों वाले नहीं थे ।
✍️ अतुलित शक्तिशाली रावण के उस समय बहुत बड़ा परिवार होने के बावजूद आज कोई नहीं है अर्थात वंशहीन है ।
✍️ प्रकाण्ड विद्वान होने के बावजूद, रावण के अहंकारी और चरित्रहीनता के कारण,आज भी हम प्रतीक रूप में उसके पुतले को जलाते हैं ।
✍️ जलता हुआ रावण का पुतला अपनी दुर्गति से हमको हमारे भविष्य हेतु सावधान भी करता है ।

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