दिल्ली/ लखनऊ। अगले साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा ने अपने स्तर पर व्यापक रणनीति बनानी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश में अगर लखीमपुर खीरी कांड न हुआ होता तो यह अब तक जमीनी स्तर पर उतर चुकी होती लेकिन अब रणनीति में फेरबदल तय माना जा रहा है,क्योंकि इस मुद्दे पर विपक्षी तेवरों को कुंद करने के लिए भाजपा नेतृत्व लखीमपुरी खीरी कांड की आंच को कम करने के लिए पानी की बूंदें डालने की कोशिश में है। अंदरखाने बहुत कुछ चल रहा है। इसलिए फिलहाल बयानबाजी का दौर थमा हुआ है।
पार्टी सूत्रों से जानकारी मिली है कि पार्टी को सबसे अधिक चिंता उत्तर प्रदेश में पुन: सत्ता वापसी को लेकर है। इसलिए पार्टी अपनी चिंता को दूर करने के लिए व्यापक स्तर पर मंथन कर रही है और चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने में व्यस्त है। इसमें नान परफार्मेंस वाले विधायकोंं के टिकट काटा जाना तक शामिल है। पिछले दिनों दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मिलने वाले नेताओं में उत्तर प्रदेश के भाजपा नेता भी शामिल हैं। हाल में ही लखनऊ में हुए कई कार्यक्रमों व बैठकों के जरिए भी पदाधिकारियों से बातचीत करके लखीमपुर खीरी कांड की आंच का आकलन किया गया कि यह आंच पार्टी को कहां तक नुकसान पहुंचा सकती है और किस दल को फायदा।
पार्टी के पदाधिकारी अपने कार्यकर्ताओं से फीडबैक के आधार पर यह दावा कर रहे हैं कि लखीमपुर कांड से पार्टी को न तो फायदा होगा और न ही विशेष नुकसान। इसकी वजह यह है कि सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच और आसपास के क्षेत्र में भाजपा की पैठ गहरी है और कई दिग्गज इस क्षेत्र में अपना परचम लहरा चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन अन्य दलों से कहीं बेहतर था। एक बात यह भी राहत की है कि विपक्षी दल इस मुद्दे पर एक साथ भाजपा को नहीं घेर पा रहे हंै। कांग्रेस सपा आपस में ही श्रेय लेने के लिए भिड़ रहे हैं और बसपा की सुरताल इससे जुदा है।
इसलिए राजनीतिक तौर पर भाजपा को अधिक नुकसान नहीं होगा लेकिन जिस तरह से तीन कृषि कानूनों व किसान आंदोलन को जोड़कर केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ हवा बनाई जा रही है, और विपक्षी दल महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक गोलबंदी करने की कोशिश में हैं, उससे चिंता बढ़ रही है। एक बात यह भी कि जिस तरह से योगी सरकार ने इस पूरे घटनाक्रम को नियंत्रित किया, उसकी भी सराहना पार्टी के बड़े फोरम पर हो रही है।
दिल्ली में बुधवार को चुनावी रणनीति को लेकर हुई बैठक में यूपी चुनाव सबसे अहम माना गया है। बताया जाता है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संगठन व सरकार में शामिल कुछ नेताओं से चर्चा की है। माना जा रहा है कि भाजपा के लिए पंजाब को अधिक चिंता नहीं है,क्योंकि वहां अकालीदल से गठबंधन को छोडऩे के बाद स्थिति काफी कमजोर है। वर्तमान में इकाई में ही विधायक हैं। जबकि अन्य चार राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में सत्ता वापसी जरूरी है। उत्तर प्रदेश के महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी का एक कार्यक्रम हो चुका है और एक और कार्यक्रम अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में होने वाला है।