- लुआक्टा की मांग है कि छात्र हित को देखते हुए 18 अप्रैल 24 के जारी निर्देश को निरस्त कर विभागों द्वारा पूर्व में जारी निर्देशों का ही अनुपालन कराये जाने का निर्देश दिए जाने का कष्ट करें ।
लखनऊ , 21 अप्रैल ,campussamachar.com, । लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डा मनोज पांडेय और महामन्त्री, डा अंशु केडिया ने लखनऊ विश्वविद्यालय के
परीक्षा नियंत्रक द्वारा स्नातक छठे सेमेस्टर के माइनर प्रोजेक्ट के मूल्यांकन के संबंध जारी किए गए एक पत्र पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय को एक कडा पत्र लिखा है।
Lucknow University News toda : लुआक्टा के अध्यक्ष डा मनोज पांडेय और महामन्त्री, डा अंशु केडिया कि ओर से कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय (Prof. Alok Kumar Rai VC Lucknow University) को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि स्नातक छठे सेमेस्टर 2024 के माइनर प्रोजेक्ट के मूल्यांकन के संबंध में परीक्षा नियंत्रक के पत्रांक संख्या-133 दिनांक 16.4.24 के पत्र का संज्ञान लेने का कष्ट करें, इस पत्र के माध्यम से लखनऊ विश्वविद्यालय से सहयुक्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों को निर्देशित किया गया है कि छठे सेमेस्टर के मेजर 1 के समस्त छात्र/ छात्राओं को टाइप करके 60 पृष्ठों का हार्ड और सॉफ्ट में प्रोजेक्ट जमा करना है।
संघ आपका ध्यान निम्न बिंदुओं पर आकर्षित कराना चाहता है:–
1. पहले 23 अप्रैल 24 बाद में 30 अप्रैल 24 से परीक्षा तिथि घोषित की गई है, ऐसी स्थिति में मात्र 10-12 दिन पहले ही, जब छात्र/ छात्राएं परीक्षा की तैयारी में व्यस्त है, माइनर प्रोजेक्ट हेतु सूचित करना उचित नहीं है I
2. आपको अवगत कराना है कि लगभग सभी विभागों द्वारा अपनी अपनी तरफ से पूर्व में ही अपने दिशानिर्देश जारी किए थे I जिनका अनुपालन महाविद्यालयों के संबंधित विभागों के शिक्षक/ शिक्षिकाओं द्वारा किया जा चुका है ।
3 विभागों के पत्र संलग्न)3. वर्तमान मे लखनऊ विश्वविद्यालय का क्षेत्र 5 जिलों का है, जिसमे दूर दराज के गांवों के गरीब छात्र/ छात्राएं भी पंजीकृत हैं I उनसे एक बार एक तरह से फिर परीक्षा से तुरंत पहले नए मानकों से 60 पृष्ठ का प्रोजेक्ट बनवाना ज़बर्दस्ती पैसा बर्बाद करवाना है ।
4. क्रुति देव टाइप्ड के 1 पृष्ठ में लगभग 350 अक्षर ही आ रहे है । यदि इसे 60 पृष्ठ का किया जाए तो इसमे 21000 शब्द होंगे I अगर हम 18 अप्रैल से पूर्व विभिन्न विभागों द्वारा जारी लिखित और मौखिक आदेशों को देखे तो 21000 शब्दों का आदेश कहीं नहीं दिखता ।
5. लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग का समस्त विभागों के साथ समन्वय न होना महाविद्यालयों एवं छात्र/ छात्राओं पर अत्यंत भारी पड रहा है ।
6. सरकार एक तरफ नामांकन बढ़ाने की बात कर रही है, दूसरी तरफ रोज नए नए नियम, विशेषकर लखनऊ विश्वविद्यालय की नीतियां छात्र/ छात्राओं एवं महाविद्यालयों में पंजीकरण कम कर रही है I
इसलिए लुआक्टा की मांग है कि छात्र हित को देखते हुए 18 अप्रैल 24 के जारी निर्देश को निरस्त कर विभागों द्वारा पूर्व में जारी निर्देशों का ही अनुपालन कराये जाने का निर्देश दिए जाने का कष्ट करें ।