लखनऊ, 6 अप्रैल campussamachar.com, नए शैक्षिक सत्र शुरू होते ही विद्यालयों खासकर अंग्रेजी और कॉन्वेंट विद्यालयों में अभिभावकों की जेब कटनी शुरू हो गई है। स्कूल प्रबंधन कॉपी किताब, ड्रेस , बैग , जूते – मोजे से लेकर बच्चों के प्रवेश तक में अभिभावकों को ठगा जा रहा है । स्कूल प्रबंधन प्रकाशकों की मिलीभगत से किताबों को ऊंची दर पर बेचा जा रहा है । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के बड़े शहरों से लेकर तहसील स्तर तक में संचालित निजी विद्यालयों में लूट मची हुई है । राज्य सरकार ने विद्यालयों की इस प्रवृत्ति पर लगाम कसने के लिए वर्ष 2018 में एक कानून भी बनाया था । इस कानून में सभी जिलों में जिला स्तर पर कमेटी का गठन कर स्कूलों से जुड़ी फीस आदि के बारे में निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है, लेकिन इस समिति की प्रभावी भूमिका न होने के कारण आज स्थिति यह है कि विद्यालयों में न केवल महंगे दाम पर कापी – किताबें खरीदनी पड़ रही है, बल्कि स्कूलों द्वारा बढ़ाई गई फीस भी भरनी पड़ रही है ।
lucknow School News : उत्तर प्रदेश पेरेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ( Parents Welfare Association ) के अध्यक्ष पीके श्रीवास्तव अभिभावकों से हो रही वसूली को लेकर काफी नाराज हैं । उन्होंने Campussamachar.com से बात करते हुए कहा कि यह राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है कि स्कूलों को फीस, ड्रेस , कापी -किताबों के मूल्य निर्धारण में एक सीमा तक नियंत्रित करें । उन्होंने बताया कि सरकार ने एक आदेश के जरिए जिला स्तर पर समिति का गठन भी करने के निर्देश दिए थे और यह समिति 2018 में बनी लेकिन आज स्थिति यह है कि नए सत्र शुरू हुए एक सप्ताह होने वाला है , लेकिन स्कूलों में इस समिति की की सक्रियता का नहीं दिखाई दे रही है।
New Academic Session : उन्होंने सरकार से मांग की है कि अभिभावकों का शोषण बंद किया जाए। ( Parents associations oppose schools charging miscella(eous fees ) फीस बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा तय की गई समय सीमा का पालन किया जाए । ड्रेस भी अनावश्यक रूप से बार-बार बदलने पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए और स्कूलों में बेची जा रही काफी किताबें व ड्रेस को तत्काल प्रभाव से बंद कर अभिभावकों पर छोड़ दिया जाए कि वह यूनिफॉर्म व कापी किताब कहां से खरीदी करें ।
school Fee News : उन्होंने कहा कि लखनऊ शहर के कई नामचीन विद्यालयों में ही काउंटर खोले गए हैं, जहां अभिभावकों से मोटी रकम लेकर कॉपी किताबें, ड्रेस, डायरी, टाई और बेल्ट बेची जा रही है । उन्होंने बताया किताबों में भी मूल्य निर्धारण प्रकाशक अपने मनमानी ढंग से कर रहे हैं और नर्सरी , LKG UKG जैसे छोटे क्लास के बच्चों की किताबें भी बेहद महंगी है । उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने स्कूलों पर नियंत्रित करने के लिए अच्छा कानून बनाया था लेकिन आज स्थिति यह है कि इस कानून का पालन करने के लिए जिम्मेदार बनाये गए अधिकारी ही न केवल लापरवाही दिखा रहे हैं अपितु नामचीन विद्यालय प्रबंधन को शह दे रहे हैं। Parents associations oppose schools charging miscellaeous fees।
New Academic Session 2024-25 : वरिष्ठ पत्रकार मधुकर पांडे कहते हैं कि स्कूल प्रबंधन ने पुस्तक, ड्रेस और ट्रांसपोर्ट के नाम पर अंधेरगर्दी कर रखी है। कक्षा 6 से 8 तक तो CBSE की पुस्तक पढ़ाने के बजाय CBSE कंटेंट के नाम से महंगी किताबें तैयार की गई है, जो स्कूलों में ही बुलाकर महंगे दाम पर बेची जा रही हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे अभिभावकों की मदद करने व शिकायतें सुनने के लिए हेल्पलाइन दें और फ्लाइंग स्क्वायड बनाकर विद्यालयों में निरीक्षण करें कि किन विद्यालयों में अगर किताब , ड्रेस बेची जा रही हैं और उन्हें तत्काल में न केवल बंद किया जाये बल्कि ऐसे ही स्कूल प्रबंधन के खिलाफ ठोस कार्रवाई भी की जाये।