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सांई झूलेलाल धाम 32 एकड़ हाऊसिंग बोर्ड भिलाई : अमर शहीद हेमू कालाणी जी की 101वीं जयंती पर उनकी शहादत और कुर्बानियों की गाथा सुनाई गई , लिया यह संकल्प

  • इस शहादत दिवस के आयोजन में आदर्श सिंध ब्रादर मंडल के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कृष्णानी, नरेश नागदेव, महासचिव राजकुमार पिनयानी, सुभाष भगत, सचिव अनिल थारवानी,युवाओं में अमृत कृष्णानी,महिला मंडली से संरक्षक कमला भगत,मोहिनी थारवानी, सुमन थारवानी, अलका थारवानी,अनिता नारवानी सहित स्थानीय लोग उपस्थित रहे । 

भिलाई , 23 मार्च campussamachar.com। सांई झूलेलाल धाम 32 एकड़ हाऊसिंग बोर्ड भिलाई में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आज 23 मार्च 2024 शनिवार को  सिन्ध के भगत सिंह अमर शहीद हेमू कालाणी जी 101वीं जयंती पर उनकी शहादत और कुर्बानियों की गाथा समाज के सदस्यों को सुनाकर और देश के प्रति समर्पित भाव से सेवा करने की शपथ लेकर आयोजित किया गया।

इस आयोजन को यादगार बनाने के लिये समाज की ओर से समाज के सदस्यों में देशप्रेम और देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिये भजन संध्या का आयोजन भी आदर्श सिन्ध ब्रादर मण्डल हाउसिंग बोर्ड भिलाई के सदस्यों द्वारा किया गया था।जिसमें समाज की महिलाओं ने देश भक्ति और उनकी वीर गाथा के गीत और भजन गाकर श्रद्धाजंलि अर्पित की।साथ ही उनकी जीवनी से संबंधित प्रसंगों पर जीवनी को सुनाया गया एवं उनके तैल्य चित्र को प्रणाम कर सलामी देकर श्रद्धांजलि अर्पित की।और अमर शहीद हेमू कालाणी जिंदाबाद,हेमू कालाणी अमर रहे,भारत माता की जय,वंदे मातरम के नारे से भी उपस्थित सदस्यों द्वारा लगाए गए।

सिन्ध के भगत सिंह अमर शहीद हेमू कालाणी जी के जीवन इतिहास के बारे में समाज के सदस्यों को समाज के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कृष्णानी के द्वारा दिये भाषण वक्तव्य में बताया गया कि हेमू कालाणी एक क्रान्तिकारी एवं स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे। अंग्रेजी शासन ने उन्हें फांसी पर लटका दिया था।हेमू कालाणी सिन्ध के सख्खर में 23 मार्च सन् 1923 को जन्मे थे। उनके पिताजी का नाम पेसूमल कालाणी एवं उनकी माँ का नाम जेठी बाई था।जब वे किशोर वयस्‍क अवस्‍था के थे तब उन्होंने अपने साथियों के साथ विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और लोगों से स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने का आग्रह किया।

सन् 1942 में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया तो हेमू इसमें कूद पड़े।1942 में उन्हें यह गुप्त जानकारी मिली कि अंग्रेजी सेना हथियारों से भरी रेलगाड़ी रोहड़ी शहर से होकर गुजरेगी. हेमू कालाणी अपने साथियों के साथ रेल पटरी को अस्त व्यस्त करने की योजना बनाई। वे यह सब कार्य अत्यंत गुप्त तरीके से कर रहे थे पर फिर भी वहां पर तैनात पुलिस कर्मियों की नजर उनपर पड़ी और उन्होंने हेमू कालाणी को गिरफ्तार कर लिया और उनके बाकी साथी फरार हो गए। हेमू कालाणी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई. उस समय के सिंध के गणमान्य लोगों ने एक पेटीशन दायर की और वायसराय से उनको फांसी की सजा ना देने की अपील की। वायसराय ने इस शर्त पर यह स्वीकार किया कि हेमू कालाणी अपने साथियों का नाम और पता बताये पर हेमू कालाणी ने यह शर्त अस्वीकार कर दी।21 जनवरी 1943 को उन्हें फांसी की सजा दी गई। जब फांसी से पहले उनसे आखरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने भारतवर्ष में फिर से जन्म लेने की इच्छा जाहिर की। इन्कलाब जिंदाबाद और भारत माता की जय की घोषणा के साथ उन्होंने फांसी को स्वीकार किया।

इस शहादत दिवस के आयोजन में आदर्श सिंध ब्रादर मंडल के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कृष्णानी, नरेश नागदेव, महासचिव राजकुमार पिनयानी, सुभाष भगत, सचिव अनिल थारवानी,युवाओं में अमृत कृष्णानी,महिला मंडली से संरक्षक कमला भगत,मोहिनी थारवानी, सुमन थारवानी, अलका थारवानी,अनिता नारवानी सहित स्थानीय लोग उपस्थित थे।

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