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आज का जीवन मंत्र : त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव …क्यों कहा जाता है ? क्या जानते हैं इसका अर्थ

आज तिथि ५१२५/ १२-०१-०९/ ०२ युगाब्द ५१२५/ फाल्गुन शुक्ल पक्ष, नवमी, सोमवार “लट्ठमार होली” शुभ व मंगलमय हो..

अंको में आज की तिथि

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(„• ֊ •„)♡
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♡🔆 5125/12/01/09/02 ♡
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युगाब्द (कलियुग) – 5125
फाल्गुन – बारवहां महीना
शुक्ल – प्रथम पक्ष
तिथि – नवमी ( 09 वीं)
वार/दिन- सोमवार ( 02 रा वार/दिन )

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥

✍️ अधिकांश भारतीयों को यह प्रार्थना अक्षरशः याद है ।
✍️ हम भारतीय जड़, चेतन सभी में ईश्वर का वास मानते हैं, अतः उनको पूजते हैं ।
✍️ माता, पिता, सगे-सम्बन्धी, मित्र, विद्या (ज्ञान), द्रविण (धन) तक, ईश्वर की उपस्थिति के क्रम को ही हमे भी जीवन मे वरीयता देनी चाहिए ।
✍️ परन्तु हम तथाकथित बुद्धिमान (मूढ़ बुद्धि) वरीयताक्रम को ठीक उलट (द्रविण.. माता)देते हैं ।
✍️ माता कैसी भी परिस्थिति में अंत तक साथ देती है परंतु द्रविण (धन/लक्ष्मी) चलायमान/गतिशील है, हमेशा साथ नही देता ।

आज तिथि ५१२५/ १२-०१-०९/ ०२ युगाब्द ५१२५/ फाल्गुन शुक्ल पक्ष, नवमी, सोमवार “लट्ठमार होली” की पावन मंगल बेला में, माता को सर्वोच्च प्राथमिकता के संकल्प के साथ, नित्य की भांति, आपकी मेरा “राम-राम”।

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