लखनऊ , 14 मार्च campussamachar.com । प्रख्यात कथा व्यास – पूज्य संत श्री रमेश भाई शुक्ल ( PP Shri Ramesh Bhai Shukla Ji ) ने आज एसएसजेड़ी इंटर कॉलेज ( SSJD Inter college Faizulahganj , lucknow ) में विद्यार्थियों को सफलता के मंत्र दिए और और कई प्रेरक उदाहरण के माध्यम से समझाया कि जीवन में आगे बढ़ाने के लिए साहस, निरंतरता, ईमानदारी और लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चय होना बहुत जरूरी है।
विद्यालय पहुंचने पर विद्यालय ( SSJD Inter college Faizulahganj , lucknow ) के निदेशक डॉ जेपी मिश्रा, प्रबंधक चंद्रकांता मिश्रा, प्रबंधन प्रधानाचार्य योगेंद्र कुमार मिश्र ने माल्यार्पण कर प्रख्यात कथा व्यास – पूज्य संत श्री रमेश भाई शुक्ल ( PP Shri Ramesh Bhai Shukla Ji ) का स्वागत – अभिनंदन किया। इस अवसर पर प्रख्यात कथा व्यास – पूज्य संत श्री रमेश भाई शुक्ल ( PP Shri Ramesh Bhai Shukla Ji ) ने विद्यालय परिसर में स्थापित राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की और प्रभु श्री राम जी की विधिवत्त पूजा अर्चना की गई। इसके बाद विद्यालय परिसर में विद्यार्थियों के संबोधन का प्रेरक सत्र शुरू हुआ ।
सत्र की शुरुआत विद्यालय ( SSJD Inter college Faizulahganj , lucknow ) के निदेशक जेपी मिश्र ने कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए विद्यालय में महापुरुषों के व्याख्यान और संबोधन समय-समय पर कराए जाते रहे । आज प्रख्यात कथा व्यास -पूज्य संत श्री रमेश भाई शुक्ल ( PP Shri Ramesh Bhai Shukla Ji ) का उद्बोधन इसी श्रंखला की एक कड़ी है । अपने संबोधन में प्रख्यात कथा व्यास पूज्य संत श्री रमेश भाई शुक्ल ने विद्यार्थियों को सफलता के मंत्र बताएं। उन्होंने विद्यार्थियों से सीधा संवाद करते हुए सक्सेस के एक-एक अक्षर की विस्तृत व्याख्या की और उन्हें बताया कि सफलता के साथ सात अक्षर सफलता के सात चरण हैं और एक-एक करके अगर इन चरणों को समाहित करते हुए व्यक्ति आगे बढ़ता है तो सफलता चरण चूमेगी ।
प्रख्यात कथा व्यास – पूज्य संत श्री रमेश भाई शुक्ल ( PP Shri Ramesh Bhai Shukla Ji ) ने रामायण काल का एक उदाहरण देते हुए कहा कि अंगद हनुमान से शक्ति और सामर्थ्य में अधिक बलवान थे लेकिन जब लंका जाकर सीता का पता लगाने की चर्चा हुई तो उनके मन में कुछ संदेह उत्पन्न हुआ और इससी कारण उनके स्थान पर हनुमान जी को भेजा गया। हनुमान जी के मन में किसी भी प्रकार का संदेह नहीं था और वह न केवल सीता का पता लगा कर आए बल्कि रावण की सोने की लंका को भस्म कर दिया। इसलिए लक्ष्य पर आगे बढ़ते हुए किसी भी प्रकार का संदेह नहीं होना चाहिए किंतु – परंतु अगर सोच रहे हैं तो फिर मंजिल दूर हो जाएगी। इसी तरह कछुआ और खरगोश की कहानी सुना कर विद्यार्थियों को सफलता के लिए अधिक प्रेरित करते हुए कहा कि कोई व्यक्ति जन्म से बड़ा नहीं होता है, सभी बच्चे ही पैदा होते हैं , लेकिन वह अपनी पढ़ाई, अपने कौशल , अपने ज्ञान के आधार पर दुनिया के महापुरुष भी बनते हैं । इस क्लासरूम में बैठे हुए विद्यार्थी कल के इंजीनियर, डॉक्टर, नेता और नौकरशाह बन सकते हैं । उन्होंने अपने इस संबोधन के माध्यम से विद्यार्थियों को राम कथा के प्रेरक प्रसंग भी सुनाएं। कार्यक्रम में विद्यालय के निदेशक जेपी मिश्र ने प्रख्यात कथा व्यास पूज्य संत श्री रमेश भाई शुक्ल जी का अंग वस्त्रम व माल्यार्पण कर आभार जताया । कार्यक्रम में विद्यालय के टीचिंग स्टाफ भी उपस्थित रहा।