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आज का जीवन मंत्र : परहित बस जिन्ह के मन माहीं , तिन्ह कहुँ जग दुर्लभ कछु नाहीं ॥

आज तिथि ५१२५/ ११-०१-०१/ ०७ युगाब्द ५१२५/ माघ शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा, शनिवार शुभ व मंगलमय हो..

युगाब्द (कलियुग) – ५१२५
माघ – ग्यारवहां महीना
शुक्ल – प्रथम पक्ष
तिथि – प्रतिपदा ( ०१ ली)
वार/दिन- शनिवार ( ०७ वां वार/दिन )

 

  • परहित बस जिन्ह के मन माहीं ।
    तिन्ह कहुँ जग दुर्लभ कछु नाहीं ॥

ईश्वर अजर शक्तिशाली होते हुए भी परोपकारी है ।
ईश्वर प्रत्यक्ष रूप में अदृश्य है परन्तु परोपकारियों (मनुष्य) के रूप में उसकी उपस्थिति का अहसास किया जा सकता है ।
जिनके मन में सदैव दूसरे का हित करने की चाह रहती है अथवा जो सदा दूसरों की सहायता/मदद करने में लगे रहते हैं ।
ईश्वर कृपा से उनके लिए सम्पूर्ण जगत में कुछ भी अप्राप्त/असम्भव नहीं है ।
क्योंकि वह तो ईश्वर के प्रतिनिधि के तौर पर परोपकार में जुटे हुए हैं ।

आज तिथि ५१२५/ ११-०१-०१/ ०७ युगाब्द ५१२५/ माघ शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा, शनिवार की पावन मंगल बेला में, परोपकारी बने रहने के संकल्प के साथ, नित्य की भांति आप को मेरा “राम-राम” ।

व्यस्त रहेंगे -तो मस्त रहेंगे
मस्त रहेंगे -तो सुस्त रहेंगे

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