येषां न विद्या न तपो न दानं,
ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मर्त्यलोके भुविभारभूता,
मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति॥
✍ मनुष्य और मृग(पशु) में अंतर यही है कि मनुष्य उद्देश्य पूर्ण भ्रमण करता है जबकि मृग(पशु) निरुद्देश्य ।
✍ मनुष्य अपने ज्ञान में उत्तरोत्तर बृद्धि कर सकता है परन्तु पशु नहीं ।
✍ मनुष्य विवेकपूर्ण आचरण/व्यवहार कर सकता है परन्तु पशु नहीं ।
✍ मनुष्य धर्मानुरूप (श्रेष्ठ/कर्तव्ययुक्त) कार्य कर सकता है परन्तु पशु नहीं ।
✍ मनुष्य यदि संकल्प कर ले तो वह पृथ्वी पर भार/बोझ नहीं है ।
✍ मनुष्य और पशु में अंतर तो हमे सिद्ध करके दिखलाना ही पड़ेगा, नहीं तो लोग हमे भी पशु कहने लगेंगे ।
आज तिथि ५१२५/ १०-०२-१०/ ०२ युगाब्द ५१२५/ पौष कृष्ण पक्ष, दशमी, सोमवार की पावन मंगल बेला में, मनुष्यता युक्त जीवन जीने के संकल्प के साथ, नित्य की भांति, आपको मेरा “राम-राम”। #आज का जीवन मंत्र