- लखनऊ में नौ दिवसीय आर्ट रेजीडेन्सी कार्यक्रम में आये मध्यप्रदेश के कलाकार चंद्रपाल
- चंद्रपाल के कृतियों की एक प्रदर्शनी सराका स्टेट के सराका आर्ट गैलरी में लगाई जाएगी।
लखनऊ, 7 जनवरी।campussamachar.com, इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नौ दिवसीय आर्ट रेजीडेन्सी प्रोग्राम चल रहा है जिसमे मध्यप्रदेश के बालाघाट से युवा कलाकार चंद्रपाल पांजरे ने प्रतिभाग किया। चंद्रपाल पिछले 30 दिसंबर 2023 से लखनऊ के वास्तुकला एवं योजना संकाय के अतिथि भवन में रुककर यह रेजीडेन्सी प्रोग्राम पूरा कर रहे हैं। यह कार्यक्रम 7 जनवरी 2024 तक चलेगी। तत्पश्चात चंद्रपाल के कृतियों की एक प्रदर्शनी सराका स्टेट के सराका आर्ट गैलरी में लगाई जाएगी। चंद्रपाल इस रेजीडेन्सी प्रोग्राम में एक कृति सृजन कर रहे हैं। इस रेजीडेंसी प्रोग्राम की क्यूरेटर डॉ वंदना सहगल और कोऑर्डिनेटर धीरज यादव हैं।
lucknow art News : भूपेंद्र कुमार अस्थाना ( bhupendra k. asthana Fine Art Professional ) ने इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि कलाकार चंद्रपाल पांजरे ग्रामीण जीवनशैली के सौंदर्य बोध को व्यक्त करने और सामने लाने के लिए कांथा कपड़े को अपने कैनवास के रूप में उपयोग करते हैं। उनके काम में पुराने घिसे-पिटे कपड़ों से उभरने वाली कई आकृतियाँ, बनावट और रूप उस अंतिम सत्य की कहानी बताते हैं जिसमें ग्रामीण रहते हैं। इनदिनों चंद्रपाल लखनऊ की प्रसिद्द चिकन के पुराने कपड़ों के कतरन के साथ अन्य पुराने कपड़ों का प्रयोग अपनी कलाकृति में कर रहे हैं।
#आर्ट रेजीडेन्सी प्रोग्राम : मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के एक छोटे से गांव जमुनिया में जन्मे चंद्रपाल पांजरे की कला में पढ़ाई खैरागढ़ कला विश्वविद्यालय से हुई हैं। चंद्रपाल बताते हैं कि मेरी कला में प्रेरणा और प्रभाव उनके घर में माँ द्वारा पुराने फटे कपड़ों से बनी “कथरी” से आयी है। मुझे इस कला के बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन मुझे बहुत प्रभावित करती रही। और अपने कला शिक्षा के दौरान ही मैंने इस माध्यम को अपनी कला सृजन का प्रमुख स्रोत बनाया और निरंतर कर रहा हूँ।
lucknow News in hindi : चंद्रपाल की कला बंगाल की कांथा, बिहार सुजनी और उत्तरप्रदेश की कथरी से सम्बंधित है। इनके काम जापान के बोरो आर्ट से भी बहुत मेल खाता है। चंद्रपाल के काम को ध्यान से देखने पर उसे एक ऐसे कलाकार के रूप में देखा जा सकता है कि जो सहजता से पूरी तरह अमूर्त रूपों की ओर बढ़ता है, जिसमें रंग उसकी कला में एक महान मूल्य जोड़ते हैं, क्योंकि उनका उसकी कलाकृतियों में भावनात्मक रूप से उपयोग किया जाता है। प्रमुख रूप से रंगीन कपड़े का एक एक टुकड़ा, जिसे वह खुशी और जुनून के साथ जोड़ते है, जो सकारात्मक प्रभाव पैदा करता है। इनकी कृति में संयोजन, रेखा और रंग खास है। जो रंगीन कपड़ों के कतरन को रंग और संयोजन एवं धागों से रेखाओं का प्रयोग महत्त्वपूर्ण प्रभाव छोड़ता है। चंद्रपाल कहते हैं कि चित्र बनाना मेरे लिए आनन्दपूर्ण एवं ध्यान की तरह है।#lucknowart