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हिंदी का असली सम्मान यही कि हम सब गर्व से अपनाएं : प्रो. विजय कर्ण

प्रोफेसर विजय कर्ण
प्रोफेसर विजय कर्ण

लखनऊ. हिन्दी का असली सम्मान यह है कि हम इसे गर्व के साथ अपनाएं और इस भाषा में ही अधिकाधिक कार्य करें। ऐसा करके हम विश्व में हिंदी को प्रतिष्ठित कर पाएंगे।
यह विचार नव नालंदा विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजय कर्ण (Professor Vijay Karn ) ने व्यक्त किए। वे मंगलवार को हिंदी दिवस के अवसर पर लखनऊ स्थित भारतीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI) के हिन्दी सप्ताह के उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। Professor Vijay Karn ने कहा कि अपनी भाषा में दक्ष हुए बगैर हम सही अर्थों में विकसित नहीं हो सकते। उधार की ली भाषा के आधार पर विकास के चरमोत्कर्ष पर नहीं जाया जा सकता है। रेस जीतने के लिए पैरों में ताक़त बढ़ानी चाहिए न कि वैशाखी का सहारा। Professor Vijay Karn बताया कि सभी उत्तरदाई नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे हिंदी को राजभाषा के रूप में आदर करे। इसके पूर्व मुख्य अतिथि प्रोफेसर कर्ण ने संस्थान परिसर में आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए (NBRI) वरिष्ठ वैज्ञानिक आनन्द प्रकाश ने हिंदी भाषा में वैज्ञानिक लेखन करने वाले अपने संस्थान के वैज्ञानिकों के कार्यो को प्रस्तुत किया
इस अवसर पर Professor Vijay Karn को पुष्प गुच्छ शाल तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समारोह में संस्थान के सभी वैज्ञानिक तथा कर्मचारियों ने बढ चढकर हिस्सा लिया।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर कर्ण ने संस्थान परिसर में आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
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