उन्नाव, 14 अक्तूबर । campussamachar.com, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ संचालन समिति के सदस्य उमाशंकर तिवारी, शिवभान सिंह , सन्तुष्ट शैक्षिक पत्रिका के सहसंपादक सतीश चंद्र मिश्र, दिनेश कुमार तथा पूर्व प्रधानाचार्य पत्रकार हनुमंत सिंह ने महात्मा गांधी इण्टर कालेज पाटन, आर बी एस इण्टर कालेज बिहार भगवान बख्श सिंह इण्टर कालेज वाजितपुर, पण्डित शिवराज बली रामशंकर इण्टर कालेज सुमेरपुर आदि विद्यलयों के जनसंपर्क के दौरान शिक्षक गोष्ठियों को संबोधित किया।
up education news : शिक्षक नेताओं ने कहा कि सरकार की मंशा सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रति ठीक प्रतीत नहीं होती है, एक तरफ उन्होंने प्रबंधक महासभा को हमारे सामने खड़ा कर दिया है जिनकी प्रमुख मांगे सरकार से यह है कि वह अपनी मान्यता को वापस ले अपनी वित्तीय सहायता भी वापस ले ले । हम इन विद्यालयों को अपने ढंग से चलाएंगे सरकार पहले ही पुरानी पेंशन जा चुकी है। ग्रुप इंश्योरेंस छिन चुकी है सी सी ए,परिवार कल्याण जैसी सुविधाओं को पहले ही छिन चुकी है । सरकारी कूटनीतिक पैंतरे बाजी के कारण संगठन को टुकड़ों टुकड़ों में बांट दिया है और हम सबके प्रिय नेता स्व0 ओ पी शर्मा स्व0 मांधाता सिंह स्व0 पंचानन राय स्व0 भगवान बक्स सिंह अब हमारे बीच नहीं है यद्यपि युवा नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश त्रिपाठी , ध्रुव कुमार त्रिपाठी तथा स्थानीय नेता हेमराज सिंह गौर आदि का नेतृत्व हम सबको मिल रहा है। हमारा मूल मंत्र संघर्ष ही हम सबको खोई हुई उपलब्धियां को वापस दिलाएगा ।
up teachers news : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के नेताओं ने कहा कि हम किसी भुलावे में न रहे , खतरा हमारे चारों तरफ है यह सरकार किसी अपने मित्र को इन विद्यालयों को सौंप देगी । सन 1971 के पूर्व की स्थिति में में हम सब पहुंच जाएंगे इस बात को हमको समझ लेना चाहिए हमारी सेवा सुरक्षा की धारा 21 और 18 यह समाप्त कर दी गई है बहुत ही खतरनाक मोड़ पर हम सभी शिक्षक खड़े हैं हमको किसी मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि हम अपने पुराने झंडे के नीचे उत्तर प्रदेश #माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट ) के साथ जुड़कर सरकार की निजीकरण नीति के खिलाफ संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।
uttar pradesh news : नेताओं ने दावा किया कि सुरेश त्रिपाठी को भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता अपने दल से चुनाव लड़ने के लिए लालच दे रहे थे लेकिन हमारे नेता सुरेश त्रिपाठी ने उस लालच का तिरस्कार कर शिक्षकों के नेतृत्व को कलंकित नहीं होने दिया । लेकिन सुरेश त्रिपाठी ने इस हार जीत से परे होकर अपने स्व0 नेता ओ पी शर्मा के पद चिन्ह पर चलकर संघर्ष का रास्ता चुना अभी पिछली 9 अक्टूबर 2023 को महानिदेशक शिक्षा के कार्यालय पर शिक्षकों की भारी भीड़ जुटा कर सरकार को सावधान रहने के लिए कह दिया है।