नई दिल्ली । भारतीय सभी साहित्य गुरु की महिमा से भरे पड़े हैं। इन शास्त्रों में उनके आध्यात्मिक उपयोगिता से लेकर भौतिक उपादेयता पर भी प्रकाश डाला गया है। उक्त बातें नव नालन्दा महाविहार में आयोजित ‘गुरु वन्दन कार्यक्रम में सभा की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजय कर्ण ने कही। प्रोफेसर कर्ण ने विद्यार्थियों को मन से द्वन्द्व को निकालकर एकाग्र विधि से अध्ययन के गुर भी बताये। शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में संस्कृत विभाग के सभी छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। छात्रों ने इस अवसर पर सत्य संकल्पित होकर अपने ज्ञान प्राप्त करने की निष्ठïा को व्यक्त किया
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 नरेन्द्र दत्त तिवारी ने कहा इस विश्व को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ज्ञान-शक्ति की आवश्यकता होती है ओर इस ज्ञान को हम शिक्षक विद्यार्थियों की मेधा के अनुरूप बढ़ाने का कार्य करते हैं। सामान्य व्यक्ति को विशिष्टï बनाने बनाने में शिक्षक की भूमिका रहती है।
समारोह में डॉ0 रूबी कुमारी एसोसिएट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग ने भगवान बुद्ध के ज्ञान से विश्व को आलोकित करने की बात दुहराते हुए कहा कि शिक्षक हमारे सर्वाङ्गïीण विकास की चिन्ता कर हमें योग्य नागरिक बनाते हैं। शिक्षक की महिमा को जितना कहा जाय कम है।
छात्रों को सम्बोधित करते हुए विभागीय शिक्षक डॉ0 राजेश कुमार मिश्र ने शिक्षक को समाज का निर्माता बताते हुए विद्यार्थियों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर संस्कृत विभाग के छात्रों ने शिक्षकों को अङ्गïवस्त्र तथा स्मृति चिह्नï देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में रविकुमार, ब्रजेश कुमार, कौशलकुमार,सुलोचना कुमारी वर्मा, सोनू पाण्डेय, लव कुमार, अविनाश पाण्डेय, गौतम विकास, सुमन्त कुमार आदि छात्रों ने अपने वक्तव्य में शिक्षक और शिक्षा के अटूट सम्बन्ध को बताया तथा संस्कृत गीत के मध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया॥