नई दिल्ली.उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज विश्वविद्यालयों से अच्छी तरह से विकसित व्यक्तियों को तैयार करने और हमारे जनसांख्यिकीय लाभांश की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए उच्च शिक्षा में बहु-विषयकता बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में कई कैरियर प्रक्षेपवक्रों के लिए कर्मचारियों को विविध क्षेत्रों में व्यापक ज्ञान की आवश्यकता होगी।
इस संबंध में नायडू ने उदार कलाओं के पुनरुद्धार और एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) पाठ्यक्रमों के साथ उन्हें जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न आकलनों से पता चला है कि कला और सामाजिक विज्ञान के संपर्क से छात्रों में रचनात्मकता, बेहतर आलोचनात्मक सोच, उच्च सामाजिक और नैतिक जागरूकता तथा बेहतर टीम वर्क के साथ-साथ और संवाद कौशल में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि 21वी21वी सदी की अर्थव्यवस्था में, जहां अर्थव्यवस्था का कोई भी क्षेत्र अकेले काम नहीं कर सकता, ऐसे गुणों की अत्यधिक मांग है। नायडू ने मानविकी की पृष्ठभूमि के छात्रों को नवीनतम प्रौद्योगिकीय बदलावों से अवगत होने के महत्व को भी रेखांकित किया, ताकि वे अपने शोध अध्ययनों में इन प्रगतियों को लागू कर सकें।
KREA university में मानविकी के उन्नत अध्ययन के लिए मोटूरी सत्यनारायण केन्द्र के वर्चुअल रूप से उद्घाटन के दौरान नायडू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में प्राचीन काल से समग्र शिक्षा की एक ‘परंपरा’ थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ऐसी समग्र शिक्षा के महत्व को पहचानती है और विषयों के बीच ‘कठोर और कृत्रिम बाधाओं’ को तोड़ने का प्रयास करती है।
उपराष्ट्रपति ने आईआईटी बॉम्बे जैसे कॉलेजों के प्रयासों की सराहना की, जिसने हाल ही में एक अंतर्विषयी स्नातक पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें एक पाठ्यक्रम में लिबरल आर्ट्स , विज्ञान और इंजीनियरिंग शामिल हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अन्य संस्थानों को भी बहु-विषयक पाठ्यक्रमों की पेशकश करने के लिए आगे आना चाहिए।
नायडू ने नए केन्द्र की स्थापना के लिए KREA university के कर्मचारियों और प्रशासन एवं श्री मोटूरी सत्यनारायण के परिवार की सराहना की। उन्होंने अच्छे परिवारों से उच्च शिक्षा में इसी तरह की पहल शुरू करने के लिए आगे आने और सरकार का साथ देने की अपील की।
उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे केन्द्रों को विविध आवाजों को प्रोत्साहित करके सामाजिक विज्ञान में नवीन अनुसंधान को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सामाजिक विज्ञान के विद्वानों को सामाजिक मुद्दों की बेहतर समझ प्राप्त करने के लिए चिकित्सकों और नीति निर्माताओं के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानी और सांसद मोटूरी सत्यनारायण को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। भारतीय भाषाओं, विशेष रूप से हिंदी के एक उन्नायक के रूप में उनके योगदान को याद करते हुए, नायडू ने शिक्षा और प्रशासन के सभी स्तरों पर भारतीय भाषाओं को उचित महत्व देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘भाषा हमें पहचान, स्वाभिमान देती है और हमें वह बनाती है जो हम हैं। हमें अपनी मातृभाषा में बोलने में गर्व महसूस करना चाहिए’’।
नायडू ने कहा कि अपनी मातृभाषा में कुशल होने से बेहतर सीखने और रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है और अन्य भाषाओं को सीखने में आसानी होती है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा में सक्षम होने के साथ-साथ हिंदी सहित अधिक-से-अधिक भाषाएं सीखनी चाहिए।
नायडू ने संसद और राज्य विधायी सदनों में बहस के गिरते स्तर पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने लोगों से 4 ‘सी’ – चरित्र, आचार, दक्षता और क्षमता के आधार पर अपना प्रतिनिधि चुनने का आह्वान किया। नायडू ने अपील करते हुए कहा, “इसके बजाय, कुछ लोग भारतीय लोकतंत्र को 4 ‘सी’ के एक और सेट – जाति, समुदाय, नकदी और आपराधिकता के साथ कमजोर कर रहे हैं। संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए लोगों को अपने प्रतिनिधियों को समझदारी से चुनना चाहिए’’।
KREA university के कुलपति डॉ. महेश रंगराजन, कार्यकारी समिति के अध्यक्ष श्री कपिल विश्वनाथन, मोटूरी सत्यनारायण के परिवार के सदस्यों, प्रो. मुकुंद पद्मनाभन, प्रोफेसरों, कर्मचारियों और अन्य लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।